कितने सारे भ्रम हम पाले रहते हैं! औरों के बारे में भ्रम, अपने बारे में भ्रम। नेताओं के बारे में भ्रम, पक्ष के बारे में भ्रम, विपक्ष के बारे में भ्रम। भ्रमों का जाल। संशयात्मा न बनें। पर अविश्वास करना तो सीखें।  और भीऔर भी

चोर के लिए पीछे पड़ी भीड़ से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि वह खुद भी चोर-चोर का शोर मचाने लग जाए और भीड़ में खप जाए। इसलिए हमें नेताओं के शोर का मर्म समझना होगा।और भीऔर भी

ऐसा क्यों कि हम जो भी बनाते हैं वो भस्मासुर बन हमारा ही नाश करने पर उतारू हो जाता है? नेता से लेकर अभिनेता और भगवान तक हम ही बनाते हैं। लेकिन वो मालिक बन बैठता है और हम गुलाम।और भीऔर भी

1 जनवरी 2011 से कोई भी नेता या अफसर म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त अपनी पहचान नहीं छिपा सकता। उसे साफ-साफ बताना होगा कि वह एमपी, एमएलए या एमएलसी है कि नहीं। और, यह भी कि वह अगर नौकरशाह है तो सरकार के किस विभाग में काम करता है। यहां तक कि देश के वर्तमान व पुराने प्रधानमंत्री और राज्यों के वर्तमान व पूर्व मुख्यमंत्रियों या राज्यपालों तक को म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त अपनेऔरऔर भी

जब अकेला नेता सपने देखता है और लोग उसे हासिल करने में मदद करते हैं तो हिटलरशाही पैदा होने का खतरा रहता है। जब लोग सपने देखते हैं और नेता उसे हासिल करने में मदद करता है तो लोकशाही आती है।और भीऔर भी

आईपीएल की फ्रैंचाइजी से शरद पवार एंड फेमिली का रिश्ता साबित करना कठिन है, मुश्किल नहीं। लेकिन कुछ ऐसे सच हैं जिनको कभी साबित नहीं किया जा सकता। ऐसा ही एक सच है कि हमारे शेयर बाजारों में बड़े पैमाने पर नेताओं का पैसा लगा हुआ है। और, ऐसा ही एक ताजातरीन सच है कि वित्त मंत्रालय ने लिस्टेड कंपनियों में न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक होल्डिंग का जो नियम बनाया है, उसका एक खास मकसद स्विस बैंकोंऔरऔर भी