हम भगवान को मानना बंद कर दें तो बाबाओं की ही नहीं, नेताओ व अभिनेताओं तक की दुकान बंद हो जाए। भगवान तो शक्तिहीन मूरत है, जबकि उसके नाम पर असली शक्ति इन कलाबाजों को मिलती है।  और भीऔर भी

कितना अजीब है कि जो भावनाओं से हीन हैं, वे हम सबकी भावनाओं से खेलते हैं। नेता से अभिनेता और कॉपीराइटर तक। पर जो भावनाओं से भरे हैं, उनमें शहादत का भाव तो लबालब है, सीखने का सब्र नहीं।और भीऔर भी

मंदड़ियों के खेमे व सोच में कुछ ऐसी तब्दीलियां हुई हैं जिनके चलते 5000 को अब समर्थन का मजबूत स्तर मान लिया है। यानी, माना जा रहा है कि निफ्टी के अब इससे नीचे जाने की गुंजाइश बेहद कम है। फिर भी अगर मंदड़िए और एफआईआई मिलकर तगड़ी बिकवाली का नया दौर शुरू करते हैं तो बाजार 5000 पर भी नहीं रुकेगा और सीधे टूटकर 4700 तक चला जाएगा। ऐसा होगा या नहीं, यह तो हमें केवलऔरऔर भी

पत्थर से लेकर नेता व अभिनेता तक में प्राण-प्रतिष्ठा हम्हीं करते हैं। फिर उन्हें भगवान बनाकर खुद पिद्दी बन जाते हैं। अरे! अपनी आस्था को बाहर नहीं, अंदर फेकिए। तब देखिए उसका असर और असली प्रताप।और भीऔर भी

सत्ता मिलते ही मरतक नेताओं तक के चेहरे चमकने लगते हैं, स्वास्थ्य दमकने लगता है, आयु बढ़ जाती है। सत्ता का यही प्रताप है। जनता को भी सत्ता दे दी जाए तो उसका भी सारा दुख-दारिद्र मिट सकता है।और भीऔर भी

दूर के ढोल ही नहीं, भगवान भी सुहाने लगते हैं। पास आकर भगवान पड़ोस में हमारी तरह रहने लगें तो हम उनकी भी बखिया उधेड़ डालें। इसीलिए सत्ता-लोलुप संत और नेता हम से दो गज दूर ही रहते हैं।और भीऔर भी