रीयल्टी में बसा है हर नेता का दिल

मंदड़ियों के खेमे व सोच में कुछ ऐसी तब्दीलियां हुई हैं जिनके चलते 5000 को अब समर्थन का मजबूत स्तर मान लिया है। यानी, माना जा रहा है कि निफ्टी के अब इससे नीचे जाने की गुंजाइश बेहद कम है। फिर भी अगर मंदड़िए और एफआईआई मिलकर तगड़ी बिकवाली का नया दौर शुरू करते हैं तो बाजार 5000 पर भी नहीं रुकेगा और सीधे टूटकर 4700 तक चला जाएगा। ऐसा होगा या नहीं, यह तो हमें केवल वक्त ही बताएगा।

इस बीच वित्त मंत्री ने पूंजी बाजार को तसल्ली देने के कुछ उपायों पर काम करना शुरू कर दिया है। पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) में निवेश की सीमा 70,000 से बढ़ाकर 1,00,000 रुपए करने पर सोचा जा रहा है। उस एसटीटी (सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) को हटाने पर विचार हो रहा है जिसमें जॉबर्स को बांध दिया है। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों की लॉक-इन अवधि तीन से घटाकर एक साल करने का प्रस्ताव है। यह सारे उपाय बाजार के लिए अच्छे हैं, लेकिन निश्चित तौर पर इन्हें पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। सबसे जरूरी कदम है स्टॉक्स के डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट।

रिजर्व बैंक के कुछ आला अधिकारियों से हुई बातचीत से मुझे आभास हुआ है कि ऐसा न करने की खास वजह है और जब भी एफआईआई निवेश की ऊपरी सीमा तक पहुंचते हैं, उन्हें फ्यूचर्स में खरीदने की इजाजत दे दी जाती है। असल में वे एफआईआई समुदाय को नाखुश नहीं करना चाहते। उन्हें लगता है कि अगर एफआईआई फ्चूचर्स में खरीद करते हैं और डीआईआई शॉर्ट करते हैं, तब एफआईआई ने डिलीवरी मांग ली तो मामला फंस जाएगा और कोई समाधान नहीं निकलेगा। मुझे लगता है कि समाधान है, लेकिन कोई उस पर काम नहीं करना चाहता।

समाधान सीधा है कि अगर आपने उन्हें कैश सेगमेंट में खरीदने से रोक दिया है तो फ्यूचर्स सेगमेंट से भी रोक दीजिए। वे इस पर लिक्विडिटी या तरलता का तर्क देते हैं। लेकिन फ्यूचर्स सेगमेंट में जिंदल एसडब्ल्यू होल्डिंग्स जैसे स्टॉक्स भी हैं जिनमें एकदम तरलता नहीं है। इसलिए क्या फर्क पड़ता है जो ग्रासिम, एसबीआई या आईसीआईसीआई बैंक इसी हश्र को प्राप्त हो जाएं। वैसे भी, एफआईआई से एफआईआई के बीच ट्रेड करने की अलग सुविधा है जो ऐसे स्टॉक्स में तरलता की समस्या हल कर देगी।

वक्त की मांग है कि रिटेल निवेशकों को पूंजी बाजार में वापस ले आया जाए और फिजिकल सेटलमेंट ऐसा कर सकता है क्योंकि जिन भी लोगों ने अपना धन रीयल्टी में लगा रखा है, वे वापस शेयर बाजार में आ जाएंगे। लेकिन ऐसा करने की दृढ़ इच्छा-शक्ति होनी चाहिए क्योंकि रीयल्टी क्षेत्र में इस वक्त हर राजनेता का दिल बसा हुआ है।

खैर, बाजार की बात करें तो निफ्टी आज 5169.25 तक ऊपर जाने के बाद 0.56 फीसदी की बढ़त के साथ 5153.25 पर बंद हुआ है। लेकिन मैं अब भी इसके 5240 तक पहुंचने की राह देख रहा हूं जो ओएनजीसी के इश्यू के खुलने की तारीख 20 सितंबर के करीब आने के साथ हो जाना चाहिए। हालांकि ओएनजीसी के एफपीओ के निकल जाने के बाद बाजार को तोड़ने का एक और दौर चलने की आशंका से इनकार नहीं किया सकता है।

क्या ओएनजीसी निवेशकों को रिटर्न देगा? भले ही रिटेल निवेशकों को इश्यू मूल्य पर डिस्काउंट मिलेगा, फिर भी मौजूदा स्थिति में मुझे रिटर्न को लेकर संदेह है। अगर ओएनजीसी के इश्यू के बाद भी बाजार खुद को 5250 के ऊपर टिकाए रखता है तो माना जा सकता है कि सबसे बुरा दौर अब बीत गया।

हर कोई साल भर में कम से कम एक बार जीनियस होता है। जो सचमुच के जीनियस होते हैं उनके जबरदस्त विचार, बस, आपस में ज्यादा करीब व गुंथे हुए होते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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