हाथ न काट ले असाही इंडिया ग्लास!

एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर। ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.04 रुपए। शेयर चल रहा है 73.35 रुपए पर, यानी 70.53 के पी/ई अनुपात पर। जी हां, आज हम चर्चा करेंगे असाही इंडिया ग्लास की। लेकिन इससे पहले बता दें कि 16 अगस्त को हमने कहा था कि आइनॉक्स लीज़र दो माह में 10-20 फीसदी रिटर्न देगा। तब यह 43 रुपए पर था। कल एक महीना बीतने से पहले ही यह ऊपर में 49.50 रुपए तक जाने के बाद 48.30 रुपए पर बंद हुआ है। बंद भाव पर रिटर्न बनता है 12.33 फीसदी। लक्ष्य आधे से ज्यादा पूरा। हम इस तरह के फटाफट पक्का फायदा कराने वाले निवेश पर अलग से अपनी प्रीमियम सेवा शुरू करने की सोच रहे हैं। जब उसका फॉर्मैट बन जाएगा, आपको बताएंगे।

फिलहाल, असाही इंडिया ग्लास। इसका शेयर कल बीएसई (कोड – 515030) में 2.52 फीसदी गिरकर 73.35 रुपए और एनएसई (कोड – ASAHIINDIA) में 2.45 फीसदी गिरकर 73.75 रुपए पर बंद हुआ है। ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में असाही इंडिया ग्लास की बड़ी तारीफ की है। बताया है कि कंपनी देश में ऑटोमोटिव ग्लास व फ्लोट ग्लास की दिग्गज है। बिक्री का 52 फीसदी ऑटोमोटिव ग्लास और 45 फीसदी फ्लोट ग्लास से आता है। देश में लैमिनेटेड विंडशीट जैसे ऑटोमोटिव ग्लास की सबसे बड़ी सप्लायर है। इस बाजार का 77 फीसदी हिस्सा उसके कब्जे में है। तकरीबन सभी ऑटो कंपनियों की वह ओईएम (ओरिजनल इक्विटपमेंट मैन्यूफैक्चरर) है। 70 फीसदी धंधा ओईएम से आता है। बाकी ऑफ्टर-मार्केट से, जहां उसे ज्यादा मार्जिन मिलता है।

देश के फ्लोट ग्लास बाजार में उसकी 26 फीसदी हिस्सेदारी है। मुख्यतः कंस्ट्रक्शन उद्योग को यह अपना माल बेचती है। वाहनों के मामले में यह किसी समय एक संयंत्र और एक क्लाएंट वाली कंपनी थी। अब इसके चार संयंत्र हैं और तीन असेम्बली इकाइयां हैं। पिछले दस सालों में कंपनी की बिक्री 22 फीसदी और परिचालन लाभ 21 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। हालांकि ब्याज के खर्च के कारण 2006-11 के दौरान उसका शुद्ध लाभ महज दो फीसदी की दर से बढ़ा है। इस दौरान उसने रुड़की में फ्लोट ग्लास का बड़ा संयंत्र लगाने के साथ क्षमता विस्तार पर काफी खर्च किया जिससे उस पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया। फिर वैश्विक मंदी आ गई तो धंधा भी घट गया और मार्जिन भी।

लेकिन बीते वित्त वर्ष 2010-11 से सब कुछ पलट गया है। कंपनी की किस्मत पलट गई। उसने 1518.21 करोड़ रुपए की बिक्री पर 15.15 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। इसके बाद चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून तक की पहली तिमाही में उसकी 19.13 फीसदी बढ़कर 388.80 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 96.84 फीसदी बढ़कर 3.11 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी ऑटोमोटिव ग्लास डिवीजन की क्षमता बढ़ाने पर 130 करोड़ रुपए का नया निवेश करनेवाली है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने इतनी सारी खूबियां गिनाने के बाद बताया है कि असाही इंडिया ग्लास का स्टॉक पिछले तीन महीनों में 23 फीसदी गिर चुका है। उसने खुलकर इसमें निवेश की सलाह तो नहीं दी है। लेकिन इतना जरूर अनुमान लगाया है कि 2011-12 के अंत में कंपनी का ईपीएस 2.5 रुपए और 2012-13 में 4 रुपए हो जाएगा। इन अनुमानों के आधार पर असाही इंडिया ग्लास का शेयर दो साल बाद के ईपीएस से 18.34, एक साल बाद के ईपीएस से 29.34 और अभी तक के टीटीएम ईपीएस (1.04 रुपए) से 70.53 गुने भाव या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।

यह शेयर पिछले 52 हफ्ते के दौरान पिछले साल 9 नवंबर 2010 को 123.70 रुपए का शिखर पकड़ चुका है, जबकि पिछले महीने 22 अगस्त 2011 को उसने 64.20 रुपए पर बॉटम छुआ था। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज टर्म-एराउंड मामला बताकर इसमें परोक्ष रूप से निवेश की सलाह दे रही है। लेकिन हमारा मानना है कि इतने महंगे शेयर में हाथ लगाना भयंकर जोखिम से भरा है। सस्ता होता तो एक बार इंसान सोच भी सकता था।

सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि कंपनी पर कर्ज का भयंकर बोझ है। मार्च 2011 तक उस पर कुल 1553.13 करोड़ रुपए का कर्ज था। कंपनी की इक्विटी 15.99 करोड़ और रिजर्व 202.37 करोड़ रुपए है। इस तरह उसकी नेटवर्थ बनती है 218.36 करोड़ रुपए है। कर्ज को नेटवर्थ के भाग देने पर साफ होता है कि कंपनी का मौजूदा ऋण-इक्विटी अनुपात 7.11 का है।

इतने ज्यादा ऋण-इक्विटी अनुपात वाली कंपनी से आम निवेशकों को दूर ही रहना चाहिए। एक बात और। अगर जून 2011 की तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 96.84 फीसदी बढ़कर 3.11 करोड़ रुपए हुआ है तो इसमें 2.91 करोड़ अन्य आय से आए हैं। बाकी आप समझदार हैं और कितना जोखिम लेना है, इसकी परख भी आपको है। नहीं है तो होनी चाहिए। आखिर आप सब्जी मंडी से भिंडी खरीदने नहीं, शेयर बाजार में निवेश करने निकले हैं!!!

1 Comment

  1. what about la opala,Ithink it is bettar invsment for one year.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *