हर साल के बजट में सरकार कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाती जा रही है और पिछले कई सालों से वास्तव में बांटा गया कृषि ऋण घोषित लक्ष्य से ज्यादा रहा है। इस साल के बजट में भी वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 5.75 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। बीते वित्त वर्ष 2011-12 में यह लक्ष्य 4.75 लाख करोड़ रुपए का था जिसमें से दिसंबर 2011औरऔर भी

बजट में एक ऐसी घोषणा है जिसे करने के लिए सरकार के खजाने से कुछ नहीं जाता। इसके लिए वित्त मंत्री को बस अपनी छटांक भर की जुबान चलानी पड़ती है। यह है कृषि ऋण के लक्ष्य में बढ़ोतरी। पूरी उम्मीद है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी अगले हफ्ते शुक्रवार, 16 मार्च को 2012-13 का बजट पेश करते वक्त कृषि ऋण का लक्ष्य 25 फीसदी बढ़ा देंगे। चालू वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का बजट लक्ष्यऔरऔर भी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ब्याज दर में एक फीसदी सहायता देने के लिए हाउसिंग लोन की सीमा बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दी है। साथ ही यह सुविधा 25 लाख रुपए तक के मकान पर मिलेगी। निम्न मध्य वर्ग के लोगों को घर मुहैया कराने के लिए सरकार ने यह स्कीम सितंबर 2009 में शुरू की थी। मंगलवार को कैबिनेट ने मकान की कीमत और हाउसिंग लोन की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अभी तकऔरऔर भी

केंद्र की यूपीए सरकार के आला मंत्री किस कदर झूठ बोलते और वादाखिलाफी करते हैं, यह पिछले दिनों अण्णा हज़ारे के अनशन के दौरान कई बार उजागर हुआ। लेकिन कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि वे देश के साथ कितने बड़े-बड़े झूठ बोलते रहे हैं। इनमें से एक झूठ का खुलासा हाल में ही किया है देश में किसानों को ऋण देने की निगरानी व देखरेख करनेवाले शीर्ष बैंक नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक)औरऔर भी

मई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर पिछले नौ महीनों में सबसे कम रही है। सांख्‍यिकी व कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्‍यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मई 2011 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) साल भर पहले की तुलना में महज 5.6 फीसदी बढ़ा है। मई 2010 में आईआईपी में 8.5 फीसदी बढ़ा था। मंगलवार को इन आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि मई माहऔरऔर भी

भविष्य को न देख सिर्फ वर्तमान को देखो तो चूक हो जाती है। खासकर शेयर बाजार में तो ऐसा ही होता है। मुझे 25 मार्च को ही डेवलमेंट क्रेडिट बैंक (डीसीबी) के बारे में लिखना था। इसका आगा-पीछा पता लगा लिया था। तब इसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 44 रुपए पर चल रहा था। लेकिन लगा कि जो बैंक लगातार दो साल से घाटे में हो, जिसका इक्विटी पर रिटर्न ऋणात्मक हो, उसके बारे मेंऔरऔर भी

देश में इस समय कुल 82 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) हैं जिनकी 15,475 शाखाएं 619 जिलों में फैली हुई हैं। 31 मार्च 2010 तक की माली हालत के आधार पर 82 में तीन आरआरबी घाटे में चल रहे हैं। ये हैं – मणिपुर रूरल बैंक (2.98 करोड़), पुडुवल भर्थियार ग्रामा बैंक (0.22 करोड़) और महाकौशल ग्रामीण बैंक (2.45 करोड़)। सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को नाबार्ड की तरफ से तकनीक उन्नयन और ज्यादा आबादी तक पहुंचने के लिएऔरऔर भी

देश की आबादी करीब 118 करोड़ हो चुकी है। लेकिन हमारे सभी बैंकों में कुल बचत खातों की संख्या केवल 15 करोड़ है। ऐसा तब है जबकि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग तंत्र है जिसमें कुल करीब 79,000 शाखाएं व एटीएम वगैरह शामिल हैं। रिजर्व बैंक, नाबार्ड व राज्य सरकारों की तमाम कोशिशों के बाद 8.6 करोड़ घरों तक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिए बैंकिंग सेवा को पहुंचाया गया है। देश भर में बचतऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2009-10 में बैकों व अन्य वित्तीय संस्साओं ने देश के 4.56 करोड़ किसानों को कर्ज दिया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2010-11 में यह संख्या 5.50 करोड़ तक पहुंच जानी चाहिए। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन उमेश चंद्र सारंगी ने एक समाचार एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में यह जानकारी दी है। सारंगी का कहना है कि इस साल के लिए निर्धारित कृषि ऋण 3.75 लाख करोड़ रुपए का है औरऔरऔर भी