खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के बोझ ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की रातों की नींद उड़ा दी है। वित्त मंत्री ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित राज्यों के कृषि व खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में खुद यह बात कही। दो दिन का यह सम्मेलन लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण के मुद्दे पर बुलाया गया है। प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री के तौर पर जब मैं विभिन्न मदों में दी जाने वाली भारी सब्सिडीऔरऔर भी

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की रणनीति सुझाने के लिए बने कार्यदल ने अपनी अंतिम रिपोर्ट बुधवार को वित्‍त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सौंप दी। वित्‍त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 के बजट भाषण में मिट्टी के तेल, रसोई गैस व उर्वरक पर सब्सिडी कंपनियों के बजाय सीधे ग्राहक को देने के विषय पर इस कार्यदल के गठन की घोषणा की थी। इस कार्यदल या टास्क फोर्स की अध्यक्षता भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरणऔरऔर भी

आर्थिक सलाहकार कितने बिके हुए हो सकते हैं इसका नमूना पेश कर दिया है वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने। कौशिक बसु अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) के चेयरमैन भी हैं। इस समूह का कहना है कि महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए मल्टी-ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश को मंजूरी दे देनी चाहिए। समूह ने कृषि विपणन कानून में बदलाव का भी सुझाव दिया है। यह सीधे-सीधे वॉलमार्ट जैसे विदेशी रिटेल स्टोरों की लॉबीइंग के सिवाऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने बड़े साफ शब्दों में कह दिया है कि नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सब्सिडी के लिए जो प्रावधान किया है, वह वास्तविकता के अनुरूप नहीं है। सोमवार को नए साल की मौद्रिक नीति जारी करने से पहले अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति के आकलन में रिजर्व बैंक ने यह बात कही है। रिजर्व बैंक के दस्तावेज में कहा गया है कि बजट में सब्सिडी की गिनती यह मानकरऔरऔर भी

मानसून की समाप्ति और खरीफ फसलों की आमद शुरू होने के बाद नवंबर के पहले हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति दो फीसदी घटकर तीन माह के निचले स्तर 10.30 फीसदी पर आ गई। मुद्रास्फीति में आई इस नरमी से यह उम्मीद बन रही है कि जल्दी ही यह दस फीसदी से नीचे आ जाएगी। बारिश खत्म होने के बाद देश भर की मंडियों में खरीफ फसलों की आवक बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार पांचवें सप्ताह नरमी देखनेऔरऔर भी

सब्जियों के थोक भाव में कमी के चलते 10 जुलाई को खत्म सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 12.47 फीसदी रही है। यह एक सप्ताह पहले से 0.34 फीसदी कम है। सब्जियों में विशेष गिरावट आलू और प्याज के दामों में आई है। आलू साल भर पहले की तुलना में 45 फीसदी से ज्यादा और प्याज लगभग 8 फीसदी सस्ती हुई है। कुल मिलाकर सब्जियों के दाम साल भर पहले की तुलना में 9.92 फीसदी गिरे हैं।औरऔर भी

सरकार के लिए बड़े सुकून की बात है खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 19 जून को खत्म सप्ताह में तेजी से घटकर 12.92 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले हफ्ते में यह 16.90 फीसदी थी। इस कमी की वजह अनाज और सब्जियों के थोक मूल्यों का घटना है। एक साल पहले की तुलना में आलू के दाम 39.61 फीसदी और प्याज के दाम 7.36 फीसदी घटे हैं। दालों के थोक भाव सालाना आधार पर 31.57 फीसदी ज्यादाऔरऔर भी

सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर 15 मई को खत्म हफ्ते में 16.23 फीसदी रही है। इससे ठीक पहले के हफ्ते में यह 16. 49 फीसदी थी। इस गिरावट की मुख्य वजह मसूर, फल व सब्जियों के थोक भाव में आई कमी है। जहां मसूर के भाव में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, वहीं फल व सब्जियों के भाव में 2 फीसदी और अनाज व दाल की कीमत मेंऔरऔर भी