बजट में कम है सब्सिडी का प्रावधान: रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक ने बड़े साफ शब्दों में कह दिया है कि नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सब्सिडी के लिए जो प्रावधान किया है, वह वास्तविकता के अनुरूप नहीं है। सोमवार को नए साल की मौद्रिक नीति जारी करने से पहले अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति के आकलन में रिजर्व बैंक ने यह बात कही है।

रिजर्व बैंक के दस्तावेज में कहा गया है कि बजट में सब्सिडी की गिनती यह मानकर की गई है कि पूरे वर्ष 2011-12 के दौरान उर्वरक व पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में कोई अंतर नहीं आएगा, जो सच नहीं है। अगर उर्वरक की लागत सामग्रियां महंगी हो जाती हैं तो उर्वरक सब्सिडी बढ़ानी पड़ेगी। वैसे भी, उर्वरक सब्सिडी के तब तक बजटीय प्रावधानों से बढ़ जाने का अंदेशा है जब तक यूरिया को डिकंट्रोल नहीं किया जाता या पोषक तत्वों पर आधारित उर्वरक सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम कुल सब्सिडी को सीमित रखने में कामयाब नहीं होती।

दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम तेलों के बढ़ते दाम से सरकार खजाने पर दबाव बढ़ सकता है, बशर्ते उसी के अनुरूप घरेलू बाजार में दाम नहीं बढ़ाए जाते। इससे भी तेल मार्केटिंग कंपनियों को अंडर-रिकवरी के एवज में ज्यादा रकम देनी पड़ सकती है। इसके अलावा सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने जा रही है, जिससे सरकारी खर्चा बढ़ेगा। इस तरह सब्सिडी की मात्रा किसी भी सूरत में बजट प्रावधानों के अनुरूप नहीं रहेगी।

बता दें कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में सब्सिडी के लिए कुल प्रावधान 1,43,570 करोड़ रुपए का है। इसमें से 60,573 करोड़ खाद्य सब्सिडी और 49,998 करोड़ रुपए उर्वरक सब्सिडी के लिए हैं। इसके अलावा 23,640 करोड़ पेट्रोलियम सब्सिडी, 6869 करोड़ ब्याज सब्सिडी और 2490 करोड़ रुपए अन्य सब्सिडी के मद में रखे गए हैं। सब्सिडी के लिए निर्धारित राशि इस साल देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.6 फीसदी बनती है जो बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 2.1 फीसदी (1,64,153 करोड़ रुपए) रही है।

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