मानसून की समाप्ति और खरीफ फसलों की आमद शुरू होने के बाद नवंबर के पहले हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति दो फीसदी घटकर तीन माह के निचले स्तर 10.30 फीसदी पर आ गई। मुद्रास्फीति में आई इस नरमी से यह उम्मीद बन रही है कि जल्दी ही यह दस फीसदी से नीचे आ जाएगी।
बारिश खत्म होने के बाद देश भर की मंडियों में खरीफ फसलों की आवक बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार पांचवें सप्ताह नरमी देखने को मिली है। हालांकि, मुद्रास्फीति में आई तेज गिरावट के लिए पिछले साल के ऊंचे आधार को भी बडी वजह माना जा रहा है।
काफी लंबे समय बाद पहली बार खाद्य मुद्रास्फीति बीते साल की तुलना में कम हुई है। बीते साल की समान अवधि में यह 13.99 फीसदी थी। इसके अलावा पिछले साल मुद्रास्फीति ऊंची होने की वजह से भी इस साल छह नवंबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत कम नजर आ रही है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी का कहना है कि आमतौर पर पिछले साल की 13 फीसदी मुद्रास्फीति पर आपको 13 फीसदी ही मुद्रास्फीति नहीं मिलेगी। इससे पहले इस साल 24 जुलाई को समाप्त सप्ताह में मुद्रास्फीति दस प्रतिशत से कम रही थी और विश्लेषकों का मानना है कि यह एक बार फिर शीघ्र ही यह इकाई अंक में आ सकती है। उनका कहना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी से कुल मुद्रास्फीति भी घट सकती है क्योंकि सरकार को उम्मीद है कि यह साल के अंत तक घटकर छह फीसदी तक आ जाएगी। थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अक्तूबर में 8. 58 फीसदी रही है।