ज्ञान आनंद की पहली कड़ी है। ज्ञान की आंधी के बिना भ्रम नहीं टूटता, माया का जाल नहीं छंटता। जाल नहीं छंटता तो कुंडलिनी नहीं जगती, सहस्रार कमल नहीं खिलता, हम आनंद विभोर नहीं होते।और भीऔर भी

जान भर लेना अपने-आप में पर्याप्त नहीं। लेकिन जानना वह कड़ी है जिससे कर्म की पूरी श्रृंखला खुलती चली जाती है। सच का ज्ञान हमें इतना बेचैन कर देता है कि हम चाहकर भी शांत नहीं बैठ सकते।और भीऔर भी

आत्मविश्वास वह बल है जो हमारी शक्तियों को केंद्रित करता है। हम या  हमारी कौम अपने अतीत को नकार कर यह बल हासिल नहीं कर सकते। आज जरूरत टूटी हुई कड़ियों को जोड़कर इस बल को जगाने की है।और भीऔर भी