रामको इंडस्ट्रीज बड़ी पुश्तैनी किस्म की कंपनी है। उसके संस्थापक चंदन का तिलक धारण करनेवाले पीएसी रामासामी राजा है। कंपनी ने अपना पहला एस्बेस्टस शीट प्लांट 1967 में तमिलनाडु के आराक्कोणम में लगाया। दूसरा शीट प्लांट करूर (कर्णाटक) में 1974 में और तीसरा प्लांट माक्सी (मध्य प्रदेश) में 1987 में लगाया। इससे पहले माक्सी में ही उसने 1983 में 5 मीटर लंबी और 80 मिमी से लेकर 1000 मिमी व्यास वाली एस्बेस्टस सीमेंट प्रेशर पाइप बनाने काऔरऔर भी

बाजार पिछले दिनों दीवाली पर 21,000 अंक तक ऊंचा जाने के बाद से खुद को जमा रहा है। लेकिन कोरिया में ब्याज दरों के बढ़ने और आयरलैंड सरकार के 69 अरब डॉलर के डिफॉल्ट ने रिटेल निवेशकों के बीच कुछ हद तक अनिश्चितता पैदा कर दी है। फिर, राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले, टेलिकॉम घोटाले और आदर्श घोटाले जैसे राजनीतिक मामलों के साथ ही एलआईसी को 14,000 करोड़ रुपए के नुकसान की खबर ने भी निवेशकों के दिमागऔरऔर भी

ब्रांड क्या है और उसकी लॉयल्टी क्या है? यह है आपकी वो छवि जो आपसे माल या सेवा लेनेवालों के दिमाग में बनती है। छोटी-छोटी बातें इसे धीरे-धीरे बनाती हैं। ऊपर से तो इसकी कोई कीमत नहीं दिखती, लेकिन बाजार इस ‘अदृश्य’ ताकत को भी आंकता है। यह ताकत आ जाए तो कामयाबी आपसे ज्यादा दूर नहीं रहती है। हम भी धीरे-धीरे अपनी योग्यता और स्टॉक चुनने की क्षमता साबित करने की दिशा में सक्रिय हैं। अर्थकामऔरऔर भी

बाजार ने ठीक दोहरी तलहटी बनाई और यह अनुमान हमने तभी जाहिर कर दिया था जब निफ्टी 6240 अंक पर था। लेकिन बाजार के लोग तब इसे सुनने-समझने को तैयार नहीं थे। निफ्टी में अब भी अंततः लक्ष्य 8000 का है। जो लोग ये बात ध्यान में रखते हैं और उसके हिसाब से ट्रेड या निवेश करते हैं, उन्हें बाजार से पैसे बनाने का मौका मिल सकता है। मसलन, सेंचुरी टेक्सटाइल्स पैसे बनाने के कम से दर्जनऔरऔर भी

वेदांता समूह की कंपनी सेसा गोवा का शेयर इस साल अप्रैल में 490 रुपए के ऊपर चला गया था। 8 अप्रैल को उसने 494.30 रुपए पर 52 हफ्ते का सर्वोच्च स्तर हासिल किया था। अभी 340 रुपए के आसपास डोल रहा है। अगस्त में वेदांता समूह द्वारा केयर्न एनर्जी की 20 फीसदी हिस्सेदारी सेसा गोवा के खाते से खरीदने की घोषणा हुई तो अचानक इसके शेयर घटकर 312 रुपए पर आ गए थे। 9 सितंबर को तोऔरऔर भी

आलोचकों की कोई हद नहीं है। वे कुछ भी बक सकते हैं। निफ्टी 6100 के ऊपर चला गया। फिर भी बहुत से ‘पंडित’ मानते हैं कि हमारी खबरें, विश्लेषण और सूचनाएं यूं ही बस लम्तड़ानी हैं। लेकिन करें क्या। दुनिया तो इन आलोचकों की मुठ्ठी में नहीं है। वे भले ही इनकी कीमत न समझें, लेकिन लोगों के बीच इन्हें पसंद किया जाता है। हम तो अपने तमाम मतिअंध आलोचकों से निवेदन करते हैं कि वे ब्राउजिंगऔरऔर भी

डीलर, ट्रेडर और ब्रोकर अपनी स्क्रीन रीडिंग के आधार पर बाजार का रुझान तय करते हैं। स्क्रीन तो दिखा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से एफआईआई की खरीद नदारद है। इसलिए बाजार नीचे फिसल रहा है और करेक्शन के लिए तैयार है। उनकी स्क्रीन रीडिंग से मुझे कोई इनकार नहीं। लेकिन यह अल्पकालिक तरीका है क्योंकि बाजार में अगर दो बजे खरीद शुरू होती है तो यही लोग इस तरह के सिद्धांत गढ़नेवाले अपने गुरुघंटालों काऔरऔर भी

इस पल की बात करें तो पावर ग्रिड, सेंचुरी, आईएफसीआई, आईडीबीआई और एचडीआईएल मेरे सबसे पसंदीदा स्टॉक हैं। खासकर पावर ग्रिड जो बहुत जल्द ही 135 रुपए का स्तर छूने वाला है। आईएफसीआई के बारे में मैंने कहा ही था कि सरकार आगे बढ़कर कह सकती है कि वह इसके बांडों को इक्विटी में नहीं बदलने जा रही। ऐसा ही हुआ। नॉर्थ ब्लॉक (वित्त मंत्रालय) के सूत्रों ने इस मसले से जुड़े हमारे विश्लेषकों को बताया हैऔरऔर भी

वित्त मंत्री ने इस साल 26 फरवरी को अपने बजट भाषण में नए बैंकों को लाइसेंस देने की बात कही थी, तभी से बाजार में कयास लगाए जाने लगे थे कि किस-किस कंपनी को बैंकिंग लाइसेंस मिल सकता है। इसके बाद रिजर्व बैंक ने 20 अप्रैल को सालाना मौद्रिक नीति में कहा कि वह जुलाई के अंत तक इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर देगा। लेकिन जुलाई के बीत जाने के दस दिन बाद रिजर्व बैंक नेऔरऔर भी

हम इस बात की आशंका पहले ही जता चुके हैं। बाजार पर मंडराता जोखिम घट नहीं रहा। बहुत मुमकिन है कि जिन अग्रणी कंपनियों में बढ़त के दम पर सेंसेक्स बढ़ता जा रहा है, वे गिरावट/करेक्शन की शिकार हो जाएं और जो स्टॉक अभी तक बाजार की रफ्तार से पीछे चल रहे थे, वे अचानक सबसे आगे आ जाएं। इसके पीछे का तर्क बड़ा सीधा-सरल और आसान है। पीछे चल रहे बहुत से शेयरों का भाव उनकेऔरऔर भी