डीलर, ट्रेडर और ब्रोकर अपनी स्क्रीन रीडिंग के आधार पर बाजार का रुझान तय करते हैं। स्क्रीन तो दिखा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से एफआईआई की खरीद नदारद है। इसलिए बाजार नीचे फिसल रहा है और करेक्शन के लिए तैयार है। उनकी स्क्रीन रीडिंग से मुझे कोई इनकार नहीं। लेकिन यह अल्पकालिक तरीका है क्योंकि बाजार में अगर दो बजे खरीद शुरू होती है तो यही लोग इस तरह के सिद्धांत गढ़नेवाले अपने गुरुघंटालों का नाम भूल जाते हैं।
क्या आपको लगता है कि एफआईआई पहले बताकर आपको शेयर बटोरने का मौका देंगे और फिर खुद खरीदेंगे? यह बात उनकी बिकवाली पर भी लागू होती है। एक बात जान लें कि एफआईआई बाजार के कोई खुदा या भगवान नहीं है और हमें कभी भी उनके पीछे नहीं चलना चाहिए क्योंकि वे नुकसान करने के मामले में कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। फंडामेंटल को देखिए, अपना दिमाग लगाइए और समझने की कोशिश कीजिए कि करेक्शन के लिए क्या-क्या वजहें होनी चाहिए।
इसमें कोई शक नहीं कि बाजार में ओपन इंटरेस्ट अब तक के सर्वोच्च स्तर 1,43,000 करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है। रिलायंस कैपिटल के मधु केला ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही है। मगर, मैं उनकी बातों से भौचक हूं क्योंकि उन्होंने साफ नहीं किया कि 1,43,000 करोड़ में से 42,000 करोड़ स्टॉक फ्यूचर्स और 18,000 करोड़ तो निफ्टी फ्यूचर्स के हैं, लेकिन बाकी कहां से आए। असल में बाकी सौदे कॉल व पुट ऑप्शंस के हैं। इनकी तुलना 2008 में बाजार के क्रैश होने के वक्त के ओपन इंटरेस्ट 1,15,000 करोड़ रुपए से नहीं की जा सकती है। उस समय बाजार ओवरबॉट स्थिति में था और ऑप्शंस का हिस्सा केवल 15-20 फीसदी था। इस समय ऑप्शंस का हिस्सा 58 फीसदी से ज्यादा है। इसलिए अभी हम ओवरबॉट स्थिति से कोसों दूर हैं।
इस दौरान तमाम नए स्टॉक एफ एंड ओ (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) सेगमेंट में जुड़ गए हैं, ईपीएस बढ़ा है और मूल्यांकन भी बढ़ा है। इनको थोड़ा एडजस्ट करने की जरूरत है और इसलिए 1,50,000 करोड़ रुपए के ओपन इंटरेस्ट पर भी मुझे नहीं लगेगा कि बाजार ओवरबॉट स्थिति में है। हम अभी फ्यूचर्स में मात्र 60,000 करोड़ पर हैं, जबकि बाजार में अच्छी पोजिशन को दर्शाने के लिए हमें कम से कम 90,000 करोड़ रुपए पर होना चाहिए।
एक तरफ मधु केला मानते हैं कि बाजार में होल्डिंग का आधार सीमित है और दूसरी तरफ वे करेक्शन की बात करते हैं। खैर, जो भी हो, तय आपको करना है कि बाजार किस दिशा में जा रहा है। मैं तो बाजार को लेकर लांग (खरीद) के पक्ष में हूं भले ही यह (निफ्टी) 5200 पर चला जाए क्योंकि तब निचले स्तर पर खरीद के मौके बढ़ जाएंगे।
आईएफसीआई ने टैक्स-फ्री बांडों से 7500 करोड़ रुपए की पहली किश्त जुटा ली है। इससे उसके मुनाफे में कम से कम 350 करोड़ रुपए का इजाफा होगा। साथ ही इससे भारत सरकार के बांडों के विमोचन के 523 करोड़ निकल जाएंगे। अब आईएफसीआई में रणनीतिक बिक्री की राह खुलने लगी है। उसने आज ही मुंबई मिरर व कुछ अन्य अखबारों में पहला कमर्शियल विज्ञापन निकाला है। आईएफसीआई अब नए दौर में पहुंच चुका है और उसमें पहला लक्ष्य 72 रुपए का है।
एचसीसी, एचडीआईएल, सेंचुरी, बॉम्बे डाईंग, आइडिया, आईडीबीआई, जिंदल एसडब्ल्यू होल्डिंग्स, पावर ग्रिड, आईडीएफसी और टाटा स्टील मेरे अन्य चहेते स्टॉक हैं। पूरे यकीन से की गई खरीद आपको फायदा दिला सकती है। भाव दबाने के ऑपरेटरों के खेल को आपको दरकिनार कर दीजिए। अगर वाकई कोई बुरी खबर नहीं आती तो वे ऐसा ज्यादा वक्त तक नहीं कर पाएंगे। पिछली दीवाली पर मैंने इंडियन ऑयल व ओएनजीसी का नाम सुझाया था और आज आप उनका मूल्यांकन देखिए। मैं अच्छे स्टॉक के नाम अक्सर बार-बार नहीं दोहराता।
किसी भी इंसान के खुश होने के लिए जरूरी है कि वह मानसिक रूप से अपने प्रति वफादार हो। बेवफाई विश्वास करने या न करने में नहीं होती, बल्कि यह उस बात में विश्वास का दावा करने में होती है जिसमें वह विश्वास ही नहीं करता।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)