हिन्डेनबर्ग की अशुभ छाया का डर बरकरार है। पूरे सितंबर भर रहेगा। दुनिया के बाजार गिरेंगे तो स्वाभाविक रूप से भारत पर भी असर पड़ेगा। वैसे भी हमारे एक बड़े फंड हाउस के प्रमुख कह चुके हैं कि बाजार में 10 फीसदी करेक्शन आना है। लेकिन कौन बेचेगा जिसके चलते यह करेक्शन आएगा? बीते शुक्रवार को बाजार (बीएसई सेंसेक्स) 1.25 फीसदी गिर गया। इस हिसाब से फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सौदों के ओपन इंटरेस्ट में कमी आनी चाहिए थी। लेकिन वह तो 26 अगस्त के 1,36,095 करोड़ रुपए से 7352 करोड़ रुपए बढ़कर 27 अगस्त को 1,43,447 करोड़ रुपए हो गया! अमूनन रोलओवर के अंत में सेटलमेंट पर काफी उतार-चढ़ाव आता है। लेकिन इस बार ऐसा भी नहीं हुआ क्योंकि बाजार पहले से ओवरसोल्ड स्थिति में है।
दूसरे पिछले दो सालों में बाजार के 8000 अंक से 18,000 अंक की यात्रा में एफआईआई की होल्डिंग 20 फीसदी से घटकर 16 फीसदी पर आ गई है। सच कहें तो इस 16 फीसदी होल्डिंग का भी कम से कम आधा हिस्सा भारतीय है जिसे हमारे प्रवर्तकों ने बोगस नामों से लगा रखा है। एफआईआई थोड़ी-सी फीस लेकर उनका यह काम कर देते हैं। ऐसा खेल निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनियों तक ने कर रखा है। यह अलग बात है कि आधिकारिक मीडिया जानते हुए भी इसकी चर्चा नहीं करता। प्रवर्तकों की इस बेनामी हिस्सेदारी के आधार पर माना जा सकता है कि एफआईआई के पास इस समय खास कुछ ऐसा नहीं है जिसे बेचकर वे बाजार को गिरावट का शिकार बना सकें।
बाजार की 8000 से 18,000 तक की यात्रा में रिटेल की शेयरधारिता भी 10 से घटकर 8 फीसदी पर आ गई है। लेकिन तीन तरह के निवेशक हैं जिन्होंने ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदे हैं। ये हैं – बीमा कंपनियां, बैंक व म्यूचुअल फंड और बाजार के दिग्गज उस्ताद ऑपरेटर। इन तीनों का मानना है कि बाजार में अभी काफी उठाव आना है। वे वाकई भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर तेजी की धारणा रखते हैं, इसलिए अभी बेचने के मूड में कतई नहीं हैं।
तीसरे, सरकार आज डायरेक्ट टैक्स कोड बिल संसद में ला रही है। इसका पारित हो जाना तय है। इसमें आय के 1.6 लाख से 8 लाख रुपए तक के स्लैब को बढ़ाकर 2 लाख से 10 लाख रुपए किया जा रहा है। इससे लोगों के पास निवेश योग्य रकम बढ़ेगी। साथ ही सरकार लांग टर्म कैपिटल गेन्स को पहले की तरह शून्य करने जा रही है। इन उपायों से रिटेल निवेशक भी बाजार की तरफ आएगा। सवाल उठता है जब सभी खरीदने या होल्ड करने की मानसिकता व स्थिति में हैं तो बेचेगा कौन? एफआईआई? लेकिन उनकी भी आधी होल्डिंग न बेचने की सोच रखनेवाले भारतीय प्रवर्तकों की है।
WHY HCC FALLING DAILY? IS IT A BUYING OPPORTUNITIES FOR INVESTORS?