हम इस बात की आशंका पहले ही जता चुके हैं। बाजार पर मंडराता जोखिम घट नहीं रहा। बहुत मुमकिन है कि जिन अग्रणी कंपनियों में बढ़त के दम पर सेंसेक्स बढ़ता जा रहा है, वे गिरावट/करेक्शन की शिकार हो जाएं और जो स्टॉक अभी तक बाजार की रफ्तार से पीछे चल रहे थे, वे अचानक सबसे आगे आ जाएं।
इसके पीछे का तर्क बड़ा सीधा-सरल और आसान है। पीछे चल रहे बहुत से शेयरों का भाव उनके 200 डीएमए (डेली मूविंग एवरेज) से कम चल रहा है। हमारे टेक्निकल एनालिस्ट या चार्ट वाले इस स्थिति को शॉर्ट सौदों के लिए एकदम दुरुस्त मानते हैं। जैसे, सेंचुरी का 200 डीएमए 482 है, जबकि उसका शेयर 450 रुपए पर था जिससे शॉर्ट सेलर हर बार इसमें एकदम दाब कर सौदे कर रहे थे। लेकिन यह शेयर आज बढ़कर 477 रुपए पर बंद हुआ जो 200 डीएमए से मामूली अंतर दिखाता है। चूंकि इस स्टॉक में 1500 रुपए के ऊपर जाने की सामर्थ्य है, इसलिए ऑपरेटर अब इसमें घुस रहे हैं। वे 200 डीएमए की परवाह नहीं करेंगे। तब आप देखेंगे कि इनमें शॉर्ट कवरिंग शुरू हो जाएगी। यानी, शॉर्ट सेलर अपने घाटे को पूरा करने के लिए बढ़े हुए भावों पर ही खरीद करने लगेंगे और नतीजतन शेयर बढ़ जाएगा।
आईएफसीआई अब भी कमजोर बना हुआ है क्योंकि डेरिवेटिव सौदों में 95 फीसदी सीमा के कारण यह ओवरबॉट स्थिति में है। इसमें नए शॉर्ट सौदे संभव नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक आईएफसीआई बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं डालेगी और भारत सरकार उसके बांडों को इक्विटी में बदल रही है। यह बुरी खबर है और इसलिए आईएफसीआई में तब तक गिरावट का अंदेशा है जब तक सरकार अपने फैसले को पलट नहीं देती।
बाजार के लिए इस्पात इंडस्ट्रीज गंदा स्टॉक बना हुआ है। लेकिन मैं इस स्टॉक को पसंद करता हूं। आप कब तक लहरों का वेग रोक सकते हैं? खबरों के मुंताबिक कंपनी को एक साझीदार मिल गया है जो उसके भद्रावती बिजली संयंत्र में 60 करोड़ डॉलर लगाएगा। इसका मूल्य आराम से 100 करोड़ डॉलर है। लैंको, आरआईएल, टाटा और कुछ अन्य कंपनियां इसकी रणनीतिक भागीदार बनने की दौड़ में हैं। इस्पात ने मुंबई के पेडर रोड पर अपने तीन फ्लैट 300 करोड़ रुपए में बेचे हैं। इस्पात समूह पर कुल 6700 करोड़ रुपए का ऋण है और वह इस बोझ से छुटकारा पाने की कोशिश में है।
इस्पात का उद्यम मूल्य/बिक्री 14,000 करोड़ रुपए से कम नहीं होगा। इसलिए 2200 करोड़ रुपए का बाजार पूंजीकरण उसे सस्ता सौदा बना देता है। कंपनी जिस तरह अपने ऋण को पुनर्गठित कर रही है, उस आधार पर मुझे यह स्टॉक पूरा पैसा वसूल नजर आता है। एक समय आईएफसीआई की भी यही स्थिति थी। लेकिन अब मामला बदल चुका है। कुछ फंडों ने इस्पात में खरीद शुरू कर दी है क्योंकि उन्हें यकीन हो चला है कि यह शेयर अगले छह महीनों में 100 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे सकता है।
अगर सेंसेक्स भी 21,000 अंक पर पहुंच जाए तब भी ए ग्रुप का कोई दूसरा स्टॉक इस स्तर का फायदा नहीं करा सकता। हम सभी औसत लोग हैं और हमें बाजार की दशा-दिशा बदल लेने का भ्रम पालने के बजाय बहती धारा का लाभ उठाना चाहिए।
औसत इंसान को हर आहट पर यही डर सताता है कि कौन-सा झोंका उसे उठाकर कहीं और पटक देगा। उसे यह गफलत नहीं रहती कि वह हवा का रुख पलट सकता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)
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