भले ही देश के सबसे पुराने उद्योग समूह टाटा में रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश जोरशोर से शुरू हो चुकी हो और देश की प्रमुख आईटी कंपनी इनफोसिस तक में नारायण मूर्ति की जगह भरने की कोशिशें तेज हो गई हों, लेकिन तीन चौथाई से ज्यादा भारतीय कंपनियों में अगला सीईओ कौन होगा, इस पर चर्चा तक नहीं होती। यह निष्कर्ष है अमेरिकी सलाहकार फर्म बेन एंड कंपनी के एक ताजा सर्वेक्षण का।
लंदन से प्रकाशित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 75 फीसदी से अधिक कंपनियों के निदेशक बोर्ड में सीईओ के उत्तराधिकारी के बारे में चर्चा तक नहीं की जाती। वहीं दूसरी ओर अमेरिका में 60 फीसदी से ज्यादा अधिक दिग्गज कंपनियों के निदेशक बोर्ड में साल में एक बार सीईओ के उत्तराधिकारी पर चर्चा जरूर की जाती हैं और इनमें से 80 फीसदी कंपनियां आपात उत्तराधिकार योजना पहले से तैयार रखती हैं।
असल में टाटा समूह में उत्तराधिकारी तलाशने की खबर पर पूरे विश्व की नजर है क्योंकि टाटा समूह की दो-तिहाई आय विदेश से होती है। टाटा समूह कोरस और जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण को लेकर विश्व में काफी चर्चा में रह चुका है। समूह ने रतन टाटा के उत्तराधिकारी की खोज के लिए पांच सदस्यों का एक पैनल बनाया है। रतन टाटा साल 1991 से समूह का नेतृत्व कर रहे हैं और दिसंबर 2012 में वह सेवानिवृत होंगे। इनफोसिस के चेयरमैन एनआर नारायण मूर्ति भी अगले अगस्त में 65 साल का होने पर रिटायर हो रहे हैं।