सरकारी कंपनियां न्यूनतम 25% पब्लिक शेयरधारिता की शर्त से मुक्त की गईं

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की लिस्टेड कंपनियों को कम से कम 25 फीसदी पब्लिक शेयरधारिता की शर्त से मुक्त कर दिया है। सोमवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बात की पुष्टि कर दी गई। इससे पहले छपी खबरों के मुताबिक हाल ही कोल इंडिया के भावी आईपीओ के सिलसिले में हुई बैठक में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि कम से कम साल 2104 तक सरकारी कंपनी को न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम से छूट दी जाएगी।

बता दें कि केंद्र सरकार ने इसी साल 4 जून को एक आदेश जारी कर नियम बना दिया है कि सभी लिस्टेड कंपनियों में पब्लिक की शेयरधारिता कम से कम 25 फीसदी होनी चाहिए। इसके तहत जिन लिस्टेड कंपनियों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा है, उसे अपनी हिस्सेदारी तब तक हर साल कम से कम 5 फीसदी घटानी होगी, जब तक उनमें पब्लिक का हिस्सा 25 फीसदी नहीं हो जाता। इसका मकसद शेयर बाजार में आम निवेशकों की भागीदारी बढ़ानी है। लेकिन यहां नोट करने की बात यह है कि पब्लिक में विदेशी व देशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई व डीआईआई) की भी गिनती की जाती है।

क्रिसिल के एक अध्ययन के अनुसार इस समय 179 लिस्टेड कंपनियां हैं जिनमें पब्लिक की शेयरधारिता 25 फीसदी से कम है। इनमें से 47 कंपनियां सार्वजनिक क्षेत्र की है। लेकिन ये अपने आप में इतनी बड़ी हैं कि इनका बाजार पूंजीकरण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध 4898 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण का लगभग एक चौथाई है। इसलिए माना जा रहा था कि अगर सरकारी कंपनियां नियम का पालन करने के लिए अपने शेयर एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) के जरिए जारी करने लगेंगी तो बाजार में धन का स्रोत ही सूख जाएगा। इसी चिंता को दूर करने के लिए वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को फिलहाल कम से कम 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्त से मुक्त कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *