दाम का नहीं, लिक्विडिटी का दम

बाजार पिछले दिनों दीवाली पर 21,000 अंक तक ऊंचा जाने के बाद से खुद को जमा रहा है। लेकिन कोरिया में ब्याज दरों के बढ़ने और आयरलैंड सरकार के 69 अरब डॉलर के डिफॉल्ट ने रिटेल निवेशकों के बीच कुछ हद तक अनिश्चितता पैदा कर दी है। फिर, राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले, टेलिकॉम घोटाले और आदर्श घोटाले जैसे राजनीतिक मामलों के साथ ही एलआईसी को 14,000 करोड़ रुपए के नुकसान की खबर ने भी निवेशकों के दिमाग में शंका बढ़ा दी है। वैसे, एलआईसी अगर बेचने पर उतर आए तो वाकई बाजार के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। लेकिन इसके कोई आसार नहीं नजर आते क्योंकि भारत सरकार बाजार को और बढ़ता हुआ देखना चाहती है।

मेरी निजी राय है कि भारत की विकास-गाथा में कोई बाधा नहीं है। सरकार की धन उगाहने की कसरत अगले साल भी जारी रहेगी। असल में, वह अगले साल विनिवेश का लक्ष्य बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपए करने जा रही है और इसलिए बाजार का भला-चंगा रहना जरूरी है। फिर भी बाजार में करेक्शन की गुंजाइश बराबर बनी रहेगी क्योंकि चालू वित्त वर्ष 2010-11 के अनुमानित लाभ के मद्देनजर अभी यह थोड़ा महंगा है और इस समय मूल्य के दम पर नहीं, बल्कि नकदी या लिक्विडिटी के दम पर फूल रहा है। ऐसे में सेंसेक्स 18,500 तक गिर जाए तो कोई परवाह नहीं। पर, अगली दीवाली तक का पक्का लक्ष्य 26,000 को छूने का है। इसलिए निवेशक इस दौरान सही भाव पर सही स्टॉक खरीदकर मुनाफा कमा सकते हैं। बाजार में स्थाई किस्म की गिरावट ऐसे राजनीतिक बदलावों की सूरत में ही आ सकती है जिनसे केंद्र सरकार अस्थिर हो जाए।

कल छुट्टी का दिन है और गुरुवार से रोलओवर का सिलसिला शुरू हो जाएगा। बाजार को महज पांच दिनों के भीतर 1,60,000 करोड़ रुपए के ओपन इंटरेस्ट को रोल करना है। इसलिए इस बार भी भारी उतार-चढ़ाव और बड़े स्प्रेड का अंदेशा है। हम फिर ज्यादा कैरीओवर दरों के शिकार हो सकते हैं। अभी की ऊंच-नीच या वोलैटिलिटी रिटेल निवेशकों को निपटा देगी क्योंकि वे बहुत से सेक्टरों, खासकर बैंकिंग में लांग सौदों को काटने के लिए तैयार नहीं हैं।

जीएस (राधाकृष्ण दामाणी या ओल्ड फॉक्स) बैंक निफ्टी में शॉर्ट हो चुके हैं और यह फ्यूचर कभी भी धराशाई हो सकता है क्योंकि हर तरफ कमजोरी ही कमजोरी नजर आ रही है। सिविल एविएशन भी कमजोर दिख रहा है। इसमें जेट एयरवेज और स्पाइसजेट ओवरबॉट होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं। ऑटो क्षेत्र की बड़ी कंपनियों का डाउनग्रेड जल्दी ही शुरू होने की आशंका है। इसलिए बेहतर यह होगा कि पुराने नाते तोड़कर आप रीयल्टी सेक्टर और आईडीबीआई व आईएफसीआई जैसों से नाता जोड़ लें और इन्हें कसकर पकड़कर बैठ जाएं। सीमित खरीद से आप फायदे में रहेंगे और ज्यादा उधारी से निवेश किया तो आपको फिर से भारी कीमत चुकानी होगी।

एक बात गांठ बांध लें कि अच्छे शेयरों को सस्ते भावों पर पकड़ने के लिए बाजार की यह आखिरी डुबकी है। इसके बाद ऐसा शानदार मौका फिर नहीं मिलेगा।

लक्ष्य स्पष्ट हो और इंसान पूरी समझदारी से काम करे तो दुनिया में काम की कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे न पाया जा सके।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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