मैंगलोर केमिकल्स एंट फर्टिलाइजर्स का शेयर इसी 3 नवंबर को 52 हफ्ते के शिखर 48.25 रुपए पर जा पहुंचा था। उसके बाद से ढलान पर है। कल बीएसई (कोड – 530011) में 1.28 फीसदी की गिरावट के साथ 42.40 रुपए और एनएसई (MANGCHEFER) में 1.40 फीसदी की गिरावट के साथ 42.35 रुपए पर बंद हुआ है। जहां बीएसई में इसके 7.64 लाख शेयरों का, वहीं एनएसई में 10.44 लाख शेयरों का कारोबार हुआ है। यह अच्छी कंपनी है और तीन आधार हैं जिनकी वजह से इसमें लंबे समय का निवेश किया जा सकता है।
एक, यह विजय माल्या के यूनाइटेड ब्रेवरीज समूह की कंपनी है। इसकी 118.55 करोड़ रुपए की इक्विटी में उसकी हिस्सेदारी 30.44 फीसदी है जिसमें से 24.51 फीसदी यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स के पास और 5.93 फीसदी मैकडॉवेल होल्डिंग्स के पास है। हालांकि इसका 65.40 फीसदी हिस्सा (कंपनी की कुल चुकता पूंजी का 19.91 फीसदी) उन्होंने गिरवी रखा हुआ है। कंपनी की बाकी 69.56 फीसदी इक्विटी पब्लिक के पास है। इसमें से एफआईआई के पास मात्र 0.02 फीसदी और डीआईआई के पास 3.77 फीसदी शेयर हैं। कर्नाटक स्टेट को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ने इसमें 2.28 फीसदी हिस्सेदारी ले रखी है।
करीब ढाई महीने पहले सूत्रों के हवाले खबर आई थी कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) इसमें कुछ हिस्सा खरीदना चाहती है और रिलायंस के तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने कंपनी के संयंत्र का दौरा भी किया है। आधिकारिक रूप से न तो रिलायंस और न ही विजय माल्या की तरफ से कुछ कहा गया। असल में रह-रहकर किसी न किसी फर्टिलाइजर कंपनी के बारे में रिलायंस की दिलचस्पी की बात उठाई जाती है। नागार्जुन फर्टिलाइजर्स के बारे में लंबे समय तक ऐसा कहा जाता रहा। हालांकि ब्रोकरेज फर्म निर्मल बंग के अनुसार रिलायंस फर्टिलाइजर सेक्टर में अगले पांच सालों के दौरान 1200-1400 करोड़ रुपए लगाने को तैयार है। वह क्रूड रिफाइनिंग के दौरान बननेवाले अपने एक बाई-प्रोडक्ट पेट्रोलियम कोक का इस्तेमाल यूरिया उत्पादन में करना चाहती है।
मैंगलोर केम की दूसरी अच्छी बात यह है कि वह तीनों प्रमुख उर्वरक – यूरिया, पोटाश और फास्फेट बनाती है। साथ ही वह ग्रेन्यूलेटेड उर्वरक, माइक्रोन्यूट्रिएंट, स्वॉयल कंडीशनर और स्पेशियलिटी उर्वरक भी बनाती है। दक्षिण भारत, खासकर कर्नाटक के किसानों में उसकी अच्छी पैठ है। इस बार मानसून अच्छा रहा है तो उर्वरकों की मांग भी अच्छी-खासी है। कंपनी ने चालू वर्ष 2010-11 की सितंबर तिमाही में 1023.25 करोड़ रुपए की आय पर 16.83 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाने के बाद 33.82 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले की सितंबर तिमाही में उसने 611.72 करोड़ रुपए की आय पर 7.67 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाने के बाद 14.90 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। इस तरह कंपनी की आय व शुद्ध लाभ दोनों में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
तीसरी खास बात यह है कि कंपनी का शेयर वित्तीय मानकों के आधार पर अभी सस्ता है। उसकी बुक वैल्यू 32.70 रुपए है। इसलिए शेयर का भाव अगर 42.40 रुपए पर है तो कहीं से भी महंगा नहीं कहा जा सकता। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 6.79 रुपए है और इस आधार पर उसके शेयर का मौजूदा पी/ई अनुपात केवल 6.25 आता है। अगर इसे 10 भी मानें तो मैंगलोर केम का शेयर 68 रुपए तक जा सकता है। नागार्जुन फर्टिलाइजर्स का शेयर अभी 36.50 रुपए पर है लेकिन उसका पी/ई अनुपात 17.24 है। मैंगलोर केम के स्टॉक की खासियत यह भी है कि वह बहुत चंचल नहीं है। 31 अगस्त को रिलायंस द्वारा हिस्सेदारी खरीदने की खबर आई। लेकिन उसने बहुत उछल-कूद नहीं मचाई। उस दिन बीएसई में इसका बंद भाव 37.60 रुपए था, 30 सितंबर को 34.70 रुपए तक आ गया, 29 अक्टूबर को 41.95 रुपए हुआ और कल 15 नवंबर को इसका बंद भाव 42.40 रुपए रहा है।
बाकी चर्चा-ए-खास यह है कि विंडसर मशीन्स में तेजी का आलम है। कल यह 14.52 फीसदी बढ़कर 96.60 रुपए पर बंद हुआ है। इसमें अगला लक्ष्य 135 रुपए का है। गिलैंडर्स (बीएसई कोड – 532716) कल तो 128.90 रुपए पर स्थिर रहा, लेकिन आज धमाका कर सकता है। बीएचईएल कल 2400 रुपए के आसपास बंद हुआ है। आज इसके 2600 रुपए तक जाने की उम्मीद है।