यहीं थोड़ी दूर कहीं हमारा बचपन खेल रहा होगा। पड़ोस में कहीं हमारा बुढ़ापा खांस रहा होगा। देखना चाहें तो अपना अतीत व भविष्य अपने ही इर्दगिर्द देख सकते हैं। हम क्या थे, क्या बनेंगे, समझ सकते हैं।
2010-08-02
यहीं थोड़ी दूर कहीं हमारा बचपन खेल रहा होगा। पड़ोस में कहीं हमारा बुढ़ापा खांस रहा होगा। देखना चाहें तो अपना अतीत व भविष्य अपने ही इर्दगिर्द देख सकते हैं। हम क्या थे, क्या बनेंगे, समझ सकते हैं।
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साक्ष्य निकट ही हैष