जिसका डर था, वही हुआ। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने बुधवार को भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर अपना नजरिया स्थिर से नकारात्मक कर दिया। ऐसा तब है, जब ज्यादातर भारतीय बैंक अभी लागू बासेल-2 मानकों को ही नहीं, दो साल बाद 2013 से लागू होनेवाले बासेल-3 मानकों को भी पूरा करते हैं।
मूडीज ने जारी बयान में कहा है कि आर्थिक विकास दर के घटने और सरकारी उधारी के बढ़ने से बैंकों के पास निजी क्षेत्र को ऋण देने के लिए पर्याप्त रकम नहीं बचेगी। रेटिंग एजेंसी के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ विश्लेषक विनीत गुप्ता के मुताबिक, “अगले 12-18 महीनों में बैंकों द्वारा दिए गए ऋण या आस्तियों की गुणवत्ता में गिरावट आएगी। इसलिए भारतीय बैंकों को वित्त वर्ष 2011-12 व 2012-13 में ज्यादा प्रावधान करने होंगे और उनका लाभ घट जाएगा।”
मूडीज ने अपना फैसला बुधवार को सुबह-सुबह 9.37 बजे जारी कर दिया। इसके बाद बीएसई बेंकिंग सूचकांक खटाक से 0.1 फीसदी और फिर 0.2 फीसदी गिर गया। कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स कुल 207 अंक गिरकर बंद हुआ, जबकि निफ्टी में 68 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
बता दें कि बीते महीने अक्टूबर में मूड़ीज ने देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रेटिंग डी+ से घटाकर सी कर दी थी। इसके बाद उसका शेयर दो सालों के न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचा और अभी तक संभल नहीं पाया है।