इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने इस्तीफा देने का फैसला कर दिया है। लेकिन इसके बाद इटली में लंबी राजनीतिक अनिश्चितता देखने को मिल सकती है। बर्लुस्कोनी की पार्टी चुनाव कराना चाहती है, वहीं विपक्ष राष्ट्रीय एकता की सरकार चाहता है।
निचले सदन में हुए मतदान के दौरान बहुमत पाने में नाकाम रहे बर्लुस्कोनी ने कहा कि वह संसद में बजट सुधार पास होने के बाद अपना पद छोड़ देंगे। यूरोपीय साझीदारों ने इटली से इन सुधारों को लागू करने को कहा है ताकि देश को ऋण संकट से बचाया जाए जिसके चलते यूरो ज़ोन पर खतरा मंडरा रहा है।
इटली के टीवी चैनल को मंगलवार को दिए गए टेलिफोन इंटरव्यू में बर्लुस्कोनी ने कहा, “हमारे पास बहुमत नहीं रहा, जो हम सोचते थे कि हमारे पास है। इसलिए हमें यह बात माननी होगी और ध्यान देना होगा कि बाजारों में क्या हो रहा है। हमें बाजारों को दिखाना पड़ेगा कि हम गंभीर हैं।”
बजट सुधारों को इस महीने संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इसके बाद विपक्ष की कोशिश रहेगी कि इटली पर 17 साल से चले आ रहे मनमौजी स्वभाव के अरबपति मीडिया मुगल बर्लुस्कोनी के दबदबे को खत्म किया जाए।