अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में नया प्रबंध निदेशक चुनने की तैयारियां तेज हो गई हैं। पहली बार ऐसा लग रहा है कि परंपरा तोड़ते हुए आईएमएफ का नया मुखिया उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से होगा और इस दौड़ में योजना आयोग के मोंटेक सिंह आहलूवालिया का नाम सबसे आगे है।
अभी तक आईएमएफ के प्रमुख के पद पर यूरोपीय लोग ही रहे हैं। लेकिन गुरुवार को चीन, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड ने साफ कह दिया कि डोमिनिक स्ट्रॉस काह्न की जगह अब उभरते हुए देशों से आईएमएफ का मुखिया चुना जाना चाहिए जो दुनिया भर में बदलते परिदृश्य के लिए बहुत अहम है। न्यूयॉर्क में एक होटलकर्मी से बलात्कार की कोशिश के आरोप में स्ट्रॉस काह्न को इस्तीफा देना पड़ा है।
जापान के वित्त मंत्री योशिहिको नोदा ने कहा कि आईएमएफ का नया प्रमुख खुली और पारदर्शी प्रक्रिया से और योग्यता के आधार पर चुना जाना चाहिए। इस तरह उन्होंने इस पद पर फिर यूरोपीय व्यक्ति को लाए जाने का विरोध किया है। यूरोपीय देशों का तर्क है कि इस वक्त यूरोपीय संघ के कई देश कर्ज संकट से गुजर रहे हैं, जिसे सुलझाने में आईएमएफ अहम भूमिका अदा कर रहा है। ऐसे में आईएमएफ प्रमुख के पद पर यूरोपीय व्यक्ति ठीक रहेगा।
वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नए उभरते बाजारों और विकासशील देशों को उच्च नेतृत्व के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। अभी तक आईएमएफ प्रमुख के पद की दौड़ में एशिया से मोंटेक सिंह आहलूवालिया, दक्षिण कोरिया के पूर्व वित्त मंत्री इल सा-कोंग और सिंगापुर के थरमन शानमुगारत्नम का नाम चल रहा है। हालांकि आहलूवालिया ने कहा है कि उनकी आईएमएफ प्रमुख बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा है कि अहलूवालिया को यह भूमिका दी जानी चाहिए। यह बात सिर्फ भारत के लिहाज से नहीं, बल्कि दुनिया के लिहाज से भी ठीक है। आईएमएफ का कहना है कि वह नया प्रमुख चुनने की प्रक्रिया को जल्दी ही सार्वजनिक करेगा। अभी जॉन लिप्सकी फौरी तौर पर आईएमएफ के प्रबंध निदेशक का काम कर रहे हैं।
इस सरदार की समझ पर तरस आता है
लिंक – विस्फोट डॉट कॉम