जहां स्टॉक एक्सचेंजों की लिस्टिंग की इजाजत मिलने के बाद देश के 137 साल पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में उल्लास का माहौल होना चाहिए था, वहीं वहां अचानक सन्नाटा खिंच गया है क्योंकि पिछले तीन सालों में एक्सचेंज को नया व गतिशील स्वरूप देनेवाले उसके प्रबंध निदेशक व सीईओ मधु कन्नन उसे बीच मंझधार में छोड़कर जा रहे हैं। टाटा संस के उप-चेयरमैन और दिसंबर से रतन टाटा की जगह टाटा समूह की बागडोर संभालनेवाले सायरस मिस्त्री ने उन्हें टाटा संस में बिजनेस डेवलपमेंट का प्रमुख बनाने का फैसला किया है।
टाटा संस ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि मधु कन्नन सीधे सायरस मिस्त्री को रिपोर्ट करेंगे। हालांकि बयान में यह नहीं बताया गया कि मधु कन्नन किस तारीख से नई जिम्मेदारी संभालेंगे। उधर बीएसई ने भी कन्नन के जाने की पुष्टि की है। उसने दो लाइन के आधिकारिक बयान में कहा है, “मधु कन्नन ने दूसरे अवसर को पाने के लिए मई 2012 में खत्म हो रहे वर्तमान कार्यकाल के बाद नया कार्यकाल न पाने की इच्छा जताई है। वे सेबी के निर्धारित मानकों के हिसाब से अबाधित उत्तराधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक्सचेंज के निदेशक बोर्ड के साथ मिलकर काम करेंगे।”
मधु कन्नन ने मई 2009 में बीएसई के एमडी व सीईओ का जिम्मा संभाला था। इससे पहले वे न्यूयॉर्क में बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के प्रबंध निदेशक थे। वे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज यूरोनेक्स्ट में भी काम कर चुके हैं। मधु कन्नन इस समय महज 38 साल के हैं। उन्हें इस समय के बहुत ही अच्छी तरह जुड़े हुए चुनिंदा व पारखी प्रोफेशनल के रूप में देखा जाता है। उन्होंने बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स में बीई करने के बाद इकनॉमिक्स में एमएससी (ऑनर्स) किया है। इसके बाद अमेरिका की वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी से उन्होंने फाइनेंस में एमबीए किया।
बताते हैं कि सायरस मिस्त्री और मधु कन्नन एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित हैं और कई महीनों से टाटा समूह की भावी विकास रणनीति पर मिलकर काम कर रहे थे। कन्नन, मिस्त्री के बड़े ही भरोसेमंद हैं और मिस्त्री की तरफ से टाटा समूह में वरिष्ठ स्तर पर उन्हीं की पहली नियुक्ति की गई है। मिस्त्री चाहते हैं कि कन्नन के व्यापक अनुभव और गत्यात्मकता का फायदा टाटा समूह को मिले। वे समूह की बागडोर पूरी तरह संभालने के बाद कन्नन को एक तरह से अपना सिपहसालार बनाना चाहते हैं। सायरस मिस्त्री खुद अभी 43 साल के हैं। इसलिए दोनों को जोड़ी अच्छी जमेगी।
निश्चित रूप से मधु कन्नन के आने से सात बिजनेस क्षेत्रों और 80 से ज्यादा देशों में 100 से ज्यादा कंपनियों के साथ सक्रिय टाटा समूह को फायदा मिलेगा। लेकिन बड़ी मुश्किल से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की होड़ में खड़े हो रहे देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई के लिए इससे तगड़ा झटका लगा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि बीएसई इस सदमे से जल्दी ही उबरकर किसी नए नेतृत्व के साथ आगे की विजय यात्रा तय करेगा।