अपनी राजनीतिक पहुंच और शेयर बाजार के निवेश में बीमा कंपनियों की बड़ी अहमियत के कारण यूलिप पर नियंत्रण में सेबी को पछाड़ने के बाद बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) बड़ी तेजी से यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी) को दुरुस्त बनाने में लग गई है। सोमवार को इरडा के चेयरमैन जे हरिनारायण ने दिल्ली में एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि जल्दी यूलिप के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे ताकि इसे पॉलिसीधारकों के लिए ज्यादा आकर्षक बनाया जा सके।
इससे पहले शुक्रवार, 18 जून को ही संस्था ने एक ड्राफ्ट नियमावली जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि बीमा एजेंट पॉलिसीधारक की जरूरत का विश्लेषण के बाद कोई पॉलिसी बेचेंगे। इस पर 5 जुलाई तक आम लोगों से लेकर बीमा कंपनियों की प्रतिक्रिया मांगी गई है। इससे भी पहले यूलिप में सरेंडर शुल्क की सीमा बांधने पर इरडा ने 18 मई को एक प्रस्ताव तैयार किया था, जिस पर 27 मई तक प्रतिक्रिया मांगी गई थी। फिर उसने बीमा दस्तावेजों को अलग से सरल भाषा में तैयार करने का नियम बनाने का प्रस्ताव रखा।
असल में इधर इरडा में जबरदस्त तेजी से काम हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक इसमें प्रमुख भूमिका उसके दो प्रमुख अधिकारी, कार्यकारी निदेशक ए गिरिधर और कुछ महीने पहले सेबी से गए सदस्य (फाइनेंस एंड इंश्योरेंस) आर के नायर निभा रहे हैं। इरडा बीमा उत्पादों की मिस-सेलिंग रोकने के भी कदम उठाने जा रहा है। उसका प्रस्ताव है कि अगर कोई एजेंट मिस सेलिंग करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इस बारे में एक ड्राफ्ट रेगुलेशन इरडा ने सभी बीमा कंपनियों को भेजा है और उनसे सलाह मांगी है। उसका मकसद है कि ग्राहकों को यूलिप में होनेवाले धोखे से बचाया जा सके। एक प्रमुख बात इसमें इरडा ने और कही है कि अब जो बीमा कंपनियां रेफरल के लिए कॉरपोरेट एजेंट को जो भुगतान करती हैं, उसका जो एग्रीमेंट बीमा नियामक की मंजूरी के बाद ही बनेगा।
इस बारे में कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस से जुड़े शेखर भंडारी ने कहा कि यूलिप को लेकर इरडा की जो भी कोशिश है, वह ग्राहकों के लिहाज से बहुत ही उचित है। मेरा भी मानना है कि यूलिप में पारदर्शिता हो और ग्राहकों का फायदा हो। इसलिए इरडा की इस कोशिश की सराहना की जानी चाहिए। दरअसल इरडा की ग्राहकों से संबंधित कोशिशों पर इस समय बीमा कंपनियां काफी खुश नजर आ रही हैं।