औद्योगिक उत्पादन बढ़ा उम्मीद से ज्यादा, ब्याज घटने की आस खत्म

देश में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार पिछले डेढ़ साल से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाते रहने के बावजूद अच्छे स्तर पर बनी हुई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जून 2011 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) साल भर पहले की तुलना में 8.8 फीसदी बढ़ा है, जबकि उम्मीद की जा रही थी कि यह 5.5 से 5.7 फीसदी ही बढ़ेगा। इसने अर्थव्यवस्था में आ रही किसी भी तरह की सुस्ती की आशंका को दरकिनार कर दिया है। सबसे ज्यादा 37.7 फीसदी वृद्धि पूंजीगत माल (कैपिटल गुड्स) के उत्पादन में दर्ज की गई है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इन आंकड़ों के जारी होने के बाद कहा कि औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि काफी उत्साहवर्धक है और यह रुझान अगर आनेवाले महीनों में बना रहता है तो पूरी अर्थव्यवस्था को काफी लाभ मिलेगा। दूसरी तरफ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे जो थोड़ी-बहुत उम्मीद बनी थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला रोक सकता है, वह खत्म हो गई है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर के वेस्टपैक इंस्टीट्यूशनल बैंक में विदेशी मुद्रा विभाग के वरिष्ठ रणनीतिकार जोनाथन कैवेनाघ का कहना है, “भारतीय औद्योगिक उत्पादन का आंकड़ा अर्थव्यवस्था की अंतनिर्हित ताकत को दिखाता है। नोट करने की बात यह है कि पिछले 18 महीनों में रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा रखने के बावजूद यह वृद्धि हुई है।” इसलिए रिजर्व बैंक अब बेधड़क मुद्रास्फीति को रोकने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकता है।

पिछले साल जून में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 7.4 फीसदी थी। इस साल मई में आईआईपी में वृद्धि का अनंतिम आंकड़ा 5.6 फीसदी का था, जिसे अब संशोधित कर 5.9 फीसदी कर दिया गया है। अप्रैल-जून 2011 की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन 6.8 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 9.6 फीसदी बढ़ा था।

सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार जून 2011 के औद्योगिक उत्पादन में खनन, उत्पादन और बिजली के क्षेत्र में सूचकांक क्रमशः 126, 182.1 और 144.3 रहे हैं जिनमें वर्ष 2010 के जून की तुलना में 0.6 फीसदी, 10 फीसदी और 7.9 फीसदी की बढ़त‍ हुई। इन तीन क्षेत्रों में वर्ष 2011-12 के अप्रैल-जून में संचयी विकास पिछले वर्ष 2010-11 की तुलना में क्रमशः 1 फीसदी, 7.5 फीसदी और 8.2 फीसदी रहा, जिससे सामान्य सूचकांक में कुल वृद्धि 6.8 फीसदी हुई।

इस बार 22 में से 15 उद्योग समूहों ने पिछले साल की समान अवधि की तुलना में ज्यादा वृद्धि हासिल की है। बिजली की मशीनरी और उपकरण से संबंधित उद्योग समूह में सबसे अधिक 88.9 फीसदी वृद्धि हुई है जिसके बाद कार्यालय, एकाउंटिंग व कंप्यूटिंग मशीनरी में 19.1 फीसदी और अन्य परिवहन उपकरण के उत्पादन में 18.6 फीसदी की बढोतरी हुई है। दूसरी ओर मेडिकल, प्रेसिजन, ऑप्टिकल उपकरण व घड़ियों का उत्पादन 10.3 फीसदी और रेडियो, टीवी व संचार के साजोसामान के उत्पादन में भी 10.1 फीसदी की कमी आई है।

इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं के वर्गीकरण के अनुसार जून 2011 में विकास दर पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में आधारभूत वस्तुओं में 7.5 फीसदी, पूंजीगत माल में 37.7 फीसदी और अर्द्ध निर्मित वस्तुओं में 1.9 फीसदी की बढोतरी हुई। इस दौरान टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में एक फीसदी, उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं मे 2.1 फीसदी और उपभोक्ता वस्तुओं में 1.6 फीसदी की वृद्धि हुई।

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