केंद्र सरकार ने अपनी पूरी पूंजी निगल चुकी कंपनी स्कूटर्स इंडिया को आखिरकार निजी हाथों में सौंपने का निर्णय ले लिया है। गुरुवार को कैबिनेट ने तय किया कि स्कूटर्स इंडिया में सरकार अपनी सारी 95.38 फीसदी बेच देगी। बाकी बची 4.62 फीसदी इक्विटी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं व कॉरपोरेट निकायों के पास पड़ी रहेगी। बता दें कि स्कूटर्स इंडिया लखनऊ की कंपनी है और यह विक्रम नाम के थ्री-ह्वीलर बनाती रही है जो उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय रहे हैं।
स्कूटर्स इंडिया की कुल इक्विटी 42.99 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसके शेयर केवल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टेड हैं। फिलहाल ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में होने के नाते टी ग्रुप में हैं। इसके कुल शेयरधारकों की संख्या 9098 है जिसमें से 8911 निवेशकों के पास इसके एक लाख रुपए से कम के शेयर हैं। गुरुवार को यह खबर आने के बाद बीएसई में इसके 1.28 लाख शेयरों में सौद हुए। टी ग्रुप में होने के नाते ये सभी शेयर डिलीवरी के लिए थे। सुबह 10 बजे के आसपास सरकारी फैसले की खबर आने के बाद यह स्टॉक 5 फीसदी की सर्किट सीमा तक बढ़कर 38.40 रुपए पर पहुंच गया और इसमें ट्रेडिंग रुक गई। वैसे, यह भाव विशुद्ध रूप से बुलबुला है क्योंकि कंपनी एकदम ठनठन गोपाल की अवस्था में है।
यह कंपनी 2002-03 से ही घाटे में चल रही है। 2008-09 आते-आते कंपनी की सारी नेटवर्थ स्वाहा हो गई। उसे बीमार कंपनी घोषित किया जा चुका है। जिस विक्रम की कभी तूती बोलती थी, अभी उसकी निर्माता कंपनी के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। सरकार कंपनी को यह खर्च गैर-योजना व्यय से मुहैया कराती है। सरकार का कहना है कि होड़ में न टिक पाने और पुरानी-धुरानी टेक्नोलॉजी के कारण स्कूटर्स इंडिया की यह दुर्गति हुई है।
फिलहाल तय यह हुआ है कि कंपनी को किसी रणनीतिक सहयोगी के हाथों बेंच दिया जाएगा। महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज समूह के साथ टीवीएस समूह भी इसे खरीदने का इच्छुक बताया जा रहा है। कंपनी को बेचने की प्रक्रिया विनिवेश विभाग देखेगा। इस आशय का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा और संसद ही रणनीतिक सहयोगी व बेचने की सारी शर्तों का अनुमोदन करेगी।