विदेशी पूंजी को पटाने के लिए सब करेगी सरकार, लुभाएगी बांडों से

सरकार देश में विदेशी पूंजी को खींचने के हरसंभव उपायों पर गौर कर रही है। यह कहना है वित्त मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी का। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने जिस तरह भारत के स्थानीय व विदेशी मुद्रा बांडों की रेटिंग एक कर दी है, उससे देश से विदेशी पूंजी के बाहर निकलने के सिलसिले को थामने में मदद मिलेगी।

बता दें कि बुधवार को मूडीज ने भारत के देशी व विदेशी बांडों की रेटिंग को एक तक ‘बीएए3’ कर दिया और कहा कि रेटिंग का यह नजरिया स्थिर है। उसका कहना है कि अगर भारत सरकार की वित्तीय स्थिति व निवेश के माहौल में सुधार आता है और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी बाधाएं दूर कर ली जाती हैं तो भारत की रेटिंग को अपग्रेड करने पर भी विचार किया जा सकता है।

वित्त मंत्रालय मूडीज के इस सकारात्मक रवैये से काफी प्रसन्न दिख रहा है। मंत्रालय के उक्त अधिकारी ने अपनी पहचान न जाहिर करते हुए कहा, “हम विदेशी पूंजी प्रवाह को खींचने के सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। ठीक इस समय जो हो रहा है, वह कोई अस्थाई मामला नहीं है।”

उन्होंने बताया कि सरकार कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों की लॉक-इन अवधि को तीन साल से घटाकर एक साल कर सकती है। वह इन बांडों की बची हुई परिपक्वता अवधि भी कम कर सकती है ताकि वे विदेशी निवेशकों के लिए ज्यादा आकर्षक हो जाएं।

उनका कहना था, “भारत की रेटिंग को अभी कम से कम दो पायदान ऊपर चढ़ा देना चाहिए। हम मानते हैं कि मूडीज का कदम दूसरी रेटिंग एजेंसियों को भी अपनी पद्धति पर फिर से सोचने और भारत के प्रति सकारात्मक नजरिया अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।” अधिकारी ने बताया कि सरकार को भरोसा है कि लंबी अवधि में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) का धन बड़ी मात्रा में देश में आएगा।

गौरतलब है कि एफआईआई इस साल 2011 में अभी तक भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 30 करोड़ डॉलर निकाल चुके हैं, जबकि बीते साल 2010 में उनका शुद्ध निवेश 2900 करोड़ डॉलर से ज्यादा रहा था। विदेशी धन का निकलना ही मुख्य वजह है कि भारतीय रुपया एशिया में सबसे ज्यादा गिरनेवाली मुद्रा बन गई है। इस साल जुलाई के बाद से डॉलर के सापेक्ष रुपया लगभग 20 फीसदी गिर चुका है।

ऊपर से औद्योगिक उत्पादन से लेकर अर्थव्यवस्था में आती सुस्ती ने विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय अर्थव्यवस्था में डगमगा दिया है। इस साल फरवरी में बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 9 फीसदी आर्थिक विकास का अनुमान जताया था। लेकिन अब इसे घटाकर 7.25 फीसदी से 7.75 फीसदी कर दिया गया है। (रॉयटर्स)

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