खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 26 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में घटकर चार महीने के निचले स्तर 9.18 फीसदी पर आ गई। इससे एक हफ्ते पपहले खाद्य मुद्रास्फीति की 9.50 फीसदी और एक साल पहले 21.15 फीसदी थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति पिछली बार 27 नवंबर 2010 को समाप्त हुए सप्ताह में इस स्तर से नीचे थी, जब इसकी दर 8.69 फीसदी दर्ज की गई थी।
जानकारों का कहना है कि इस साल जिस तरह का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पाद हुआ है, उससे आनेवाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति का स्तर नीचे ही बना रहेगा। हालांकि इस दौरान अंततराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़े रहने से सकल मुद्रास्फीति पर दबाव बना रहेगा। बना दें कि भारत कच्चे तेल की दो-तिहाई जरूरत आयात से पूरा करता है।
वैसे, कुल मिलाकर खाद्य मुद्रास्फीति में इस गिरावट के बावजूद साल दर साल आधार पर खाने पीने की कई चीजों के दाम अब भी ऊंचे बने हुए हैं। समीक्षाधीन सप्ताह में फल एक साल पहले की तुलना में 25.40 फीसदी तक महंगे रहे। इसी तरह अंडा, मीट और मछली 12.80 फीसदी और दूध के दाम पिछले साल इसी समय की तुलना में 3.87 फीसदी ऊंचे थे।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान दालों की कीमतें सालाना आधार पर 5.39 फीसदी कम हुई हैं। इस दौरान अनाज की कीमत 3.62 फीसदी बढ़ी है। चावल और गेहूं की कीमतों में क्रमशः 2.08 फीसदी और 0.29 फीसदी की बढोतरी दर्ज की गई। वहीं सब्जियों के दाम 11.41 फीसदी बढ़े। इसी तरह आलू भी 5.30 फीसदी और प्याज 8.48 महंगा रहा। खाद्य मुद्रास्फीति की अगली दर 15 अप्रैल को जारी की जाएंगी जिसमें 2 अप्रैल को बीते सप्ताह की स्थिति बताई जाएगीऎ।
उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष में ज्यादातर समय खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दस फीसदी से ऊपर रही। फरवरी के अंतिम सप्ताह से इसमें नरमी का रुख बना हुआ है।