आम भारतीय, खासकर किसान सोने को कभी अपने से जुदा नहीं करता। वह उसे लक्ष्मी का रूप मानता है। लेकिन अब फसल खराब होने और आय का दूसरा साधन न होने के कारण किसान कर्जौं को उतारने और खाद व बीज का दाम चुकाने के लिए सोना बेच रहे हैं। इस साल देश के कई भागों पर पड़े सूखे या कम बारिश से उनका ये हाल हुआ है। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन का अनुमान है कि किसानों के इस रुख को देखते हुए इस साल 2012 में रीसाइकल किए जा रहे सोने की मात्रा 300 टन तक पहुंच सकती है। यह बीते साल 2011 से लगभग पांच गुनी होगी। दस सालों से ज्यादा वक्त में यह रीसाइकल सोने की सबसे बड़ी मात्रा होगी।
करीब 400 सर्राफा बड़े व्यापारियों के संगठन, बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी का कहना है, “इस साल किसानों की तरफ से सोने की कोई नई मांग नहीं आनेवाली है और बाजार में स्क्रैप (पुराने गहनों) की भरमार होगी।” उनके मुताबिक आनेवाले सालों में सोने की जरूरत का 50 फीसदी भाग स्क्रैप से पूरा होगा। उनकी राय से दूसरे स्वर्ण कारोबारी भी इत्तेफाक रखते हैं। कोलकाता के जेजे गोल्ड हाउस के प्रमुख हर्षद अजमेरा का कहना है कि इस साल सोने के पुराने गहनों या स्क्रैप की सप्लाई 200 टन रह सकती है।
बता दें कि बैंक नेटवर्क की कमी और वित्तीय निवेश माध्यमों के अभाव के चलते देश के किसान इस समय सोने के सबसे बड़े खरीदार हैं। इसे वो बचत के सबसे सुरक्षित माध्यम के रूप में अपनाते हैं। किसान परिवारों में ज्यादातर सोना कंगन और अंगूठियों या चेन के रूप में होता है। कोठारी के मुताबिक देश के तमाम हिस्सों से इनके बेचने की खबरें मिल रही हैं।
इस बात की पुष्टि रिफाइनिंग का काम बढ़ने से भी होती है। बहुत सारे बड़े रिफाइनर अपनी क्षमता बढ़ाने की राह पर चल पड़े हैं। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के मुताबिक इस समय सोने की रिफाइनिंग क्षमता 100 टन सालाना है। इसके लिए अभी तक ज्यादातर सोना दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया व स्विटजरलैंड से आयात किया जाता रहा है। वैसे, रिफाइनिंग का काम बहुत सुनार अपनी दुकानों पर ही कर लेते हैं। लेकिन मुंबई के झावेरी बाजार या दिल्ली का कूचा महाजनी इलाके में यह काम जमकर होता है। बताते हैं कि वहां की नालियों तक में सोने की धूल बहती है जिसे छानने के लिए हर शाम बेकाम कामगारों में मारामारी मच जाती है।
मालूम हो कि भारत में सोने के स्क्रैप का बाजार 2011 में केवल 58.5 टन का था। यह देश में सोने की कुल 969 टन की मांग का करीब-करीब 6 फीसदी था। लेकिन अब सोने के आयात पर 4 फीसदी टैक्स लग जाने से घरों से बाजार में आनेवाला सोना बढ़ रहा है। वैसे भी सोना 32,421 रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच चुका है। इसके जल्दी ही 33,000 रुपए तक पहुंच जाने का अनुमान है। ऐसे में किसानों को कैश पाने का सबसे आसान रास्ता सोना बेचना लग रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में लोगों के पास लगभग 20,000 टन सोना है। यह जेवरात से लेकर सिक्कों व छड़ों के रूप में रखा गया है। विश्व स्वर्ण परिषद के मुताबिक यह मात्रा अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पास रखे गए सोने की लगभग तीन गुनी है।