विकास और विकसित भारत 146 करोड़ भारतवासियों में से हर किसी को चाहिए। यह हम सबकी आकांक्षाओं और सपनों का केंद्र है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम इंडिया में शामिल भाजपा शासित तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री जिस विकास और विकसित भारत का एजेंडा चला रहे हैं, उसके केंद्र में हैं मात्र कुछ हज़ार कंपनियां जिनका सालाना टर्नओवर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। उनके विकसित भारत के केंद्र में न किसान है, न मजदूर, नऔरऔर भी

देश में एक बार फिर विकसित भारत और ट्रिलियन-ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का राग बजना शुरू हो गया है। फर्क बस इतना है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गेंद राज्यों के पाले में डालकर निश्चिंत हो गए हैं। उन्होंने खुद को नाम जपने तक सीमित कर लिया है। पिछले हफ्ते 103 रेलवे स्टेशनों का लोकार्पण एक साथ किया और इन्हें अभी से विकसित भारत के अमृत भारत स्टेशन घोषित कर दिया। फिर शनिवार को नीति आयोग की दसवींऔरऔर भी

प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोलें तो समझ में आता है क्योंकि उन्हें झूठ बोलने की आदत और असाध्य बीमारी है। झूठ बोलना उनका संस्कार है। यह अकारण नहीं है कि प्रधानमंत्री पद की मर्यादा को बचाने के लिए आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार उनके शासन में भारतीय संसद की कार्यवाही में झूठ शब्द को ही असंसदीय घोषित कर दिया गया। सरकार के मंत्री और भाजपा नेता झूठ बोले तो भी स्वीकार्य है क्योंकि उन्हें राजनीतिऔरऔर भी

देश में इस समय वर्तमान या भविष्य का अमृतकाल नहीं, बल्कि अतीत का वैदिक काल चल रहा है। वेदों में शब्द को ही प्रमाण और कह देने से हो जाने की धारणा थी। ईश्वर ने कहा कि एकोहम बहुष्याम तो एक से अनेक बनते चले गए। भाजपा व संघ की शरण में गए सारे गण व अधिकारी इसी धारणा के संवाहक हैं। नीति आयोग के सीईओ बनाए गए बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 4.19 ट्रिलियन केऔरऔर भी

राजा चौपट हो तो सत्यमेव जयते के आदर्श वाले महान देश भारत को भी अंधेर नगरी बनने में देर नहीं लगती। आईएमएफ ने करीब डेढ़ महीने पहले 14 अप्रैल 2025 को जारी वर्ल्ड इकनॉमिक रिपोर्ट में अनुमान जताया था कि विश्व अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर कैलेंडर वर्ष 2025 में 2.8% और 2026 में 3% रह सकती है। इसी रिपोर्ट में कहा गया था कि कैलेंडर वर्ष 2025 या वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का जीडीपी 4.187औरऔर भी