प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोलें तो समझ में आता है क्योंकि उन्हें झूठ बोलने की आदत और असाध्य बीमारी है। झूठ बोलना उनका संस्कार है। यह अकारण नहीं है कि प्रधानमंत्री पद की मर्यादा को बचाने के लिए आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार उनके शासन में भारतीय संसद की कार्यवाही में झूठ शब्द को ही असंसदीय घोषित कर दिया गया। सरकार के मंत्री और भाजपा नेता झूठ बोले तो भी स्वीकार्य है क्योंकि उन्हें राजनीति करनी है। संघ, भाजपा व सरकार से जुड़े बुद्धिजीवी, अर्थशास्त्री झूठ बोले, तब भी चलता है क्योंकि उनके विशाल पापी पेट की मजबूरी है। लेकिन नीति आय़ोग के सीईओ के पद पर बैठा शख्स झूठ बोले तो स्वीकार नहीं हो सकता। आखिर वो देश के फौलादी नौकरशाही तंत्र का हिस्सा है, जिसे निष्पक्षता व प्रोफेशनल दक्षता के मानक व अनुशासन का पालन करना है। उसका झूठ बोलना अक्षम्य भ्रष्टाचार व अपराध है। नीति आयोग में फरवरी 2023 से सीईओ बनाए गए बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। वे वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के सेक्रेटरी और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी से लेकर मनमोहन सिंह के साथ ही नरेंद्र मोदी तक के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय में अधिकारी रह चुके हैं। सोचिए! आज जब वे इतना सफेद झूठ बोल रहे हैं तो पहले क्या करते रहे होंगे? अब बुधवार की बुद्धि…
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