विकास और विकसित भारत 146 करोड़ भारतवासियों में से हर किसी को चाहिए। यह हम सबकी आकांक्षाओं और सपनों का केंद्र है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम इंडिया में शामिल भाजपा शासित तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री जिस विकास और विकसित भारत का एजेंडा चला रहे हैं, उसके केंद्र में हैं मात्र कुछ हज़ार कंपनियां जिनका सालाना टर्नओवर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। उनके विकसित भारत के केंद्र में न किसान है, न मजदूर, न नौजवान और न ही देश की करीब 7.34 करोड़ सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमी इकाइयां। अर्थव्यवस्था को फॉर्मल बनाने के नाम पर नवंबर 2016 में एमएसएमई का बाज़ार छीनकर बड़ी कंपनियों को देने के लिए नोटबंदी लाई गई थी। इसने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। अन्यथा, भारत 2020 में ही दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाता। मोदीजी न खाने और न खाने देने का भाषण देते रहते हैं। लेकिन अव तक के 11 साल में शासन में उन्होंने केवल खाने और खिलाने का ही काम किया है। 81.35 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन, 10 करोड़ किसानो को सम्मान निधि और मैन्यूफैक्चरिंग की पीएलआई स्कीम खिलाकर सत्ता पाने का ही धंधा है। मनमोहन के दस साल में हमारा कृषि निर्यात औसतन 20% सालाना की दर से बढ़ा, जबकि मोदी के दस साल में मात्र 2.3% की दर से। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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