कोई अमृतकाल नहीं, लौटा वैदिक काल!

देश में इस समय वर्तमान या भविष्य का अमृतकाल नहीं, बल्कि अतीत का वैदिक काल चल रहा है। वेदों में शब्द को ही प्रमाण और कह देने से हो जाने की धारणा थी। ईश्वर ने कहा कि एकोहम बहुष्याम तो एक से अनेक बनते चले गए। भाजपा व संघ की शरण में गए सारे गण व अधिकारी इसी धारणा के संवाहक हैं। नीति आयोग के सीईओ बनाए गए बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 4.19 ट्रिलियन के हो जाने की जो बात कही है, वो साल भर बाद का प्रोजेक्शन है। राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक भारत का नॉमिनल जीडीपी या वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी वित्त्त वर्ष 2024-25 में ₹331.03 लाख करोड़ का रहा है। यह ₹85.50 प्रति डॉलर की विनिमय दर पर 3.87 ट्रिलियन डॉलर बनता है। वित्त वर्ष 2024-25 का तीसरा या अनंतिम अनुमान इसी हफ्ते शुक्रवार, 30 मई को आएगा। इस बार के बजट तक में मार्च 2026 तक नॉमिमल स्तर पर हमारे जीडीपी के ₹3,56,97,923 करोड़ हो जाने का अनुमान लगाया है जो ₹85.50 प्रति डॉलर की विनिमय दर पर 4.18 ट्रिलियन डॉलर बनता है। तब डॉलर ₹90-95 का हो गया तो ‘पुनर्मूषको भव’ वाली स्थिति हो जाएगी। अब मंगलवार की दृष्टि…

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