भाग रही है पूंजी, श्रम रोता खून के आंसू
देश में विकास की जो चकाचौंध दिखाई जा रही है, उसमें चमचमाते हवाई अड्डे और हाईवे ज़रूर दिख जाते हैं। लेकिन आए-दिन किसी की छत गिर रही होती तो कई कोई पुल टूट या सड़क धंस रही होती है। 10-11 साल में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को चमाचम हो जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा क्यों है कि देश के पास नए संसद भवन के अलावा दिखाने को नया कुछ नहीं है? बड़ा सवाल यह है कि इस विकासऔरऔर भी