शेखचिल्ली के बड़े-बड़े दावे। सारे के सारे खोखले, ज़मीन पर फिसड्डी। चाहे वो राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला हो या अर्थव्यवस्था का। मोदी सरकार की 10-11 साल की कुल जमापूंजी यही है। वो समस्याएं सुलझाती नहीं। नई समस्याएं ज़रूर पैदा कर देती है। पिछले दशक में अर्थव्यवस्था में दोहरी बैलेंसशीट की समस्या थी। एक तरफ कॉरपोरेट क्षेत्र पर ऋण का बोझ ज्यादा ही बढ़ गया था। दूसरी तरफ बैंकों के एनपीए या डूबत ऋण काफी बढ़ गए थे। न कॉरपोरेट क्षेत्र ऋण ले पा रहा था और न बैंक ऋण दे पा रहे थे तो नया पूंजी निवेश अटका पड़ा था। मोदी सरकार के कहने पर पिछले दस सालों में बैंकों ने ₹16.35 लाख करोड़ के एनपीए बट्टेखाते में डालकर अपनी बैलेंसशीट साफ कर ली। कॉरपोरेट क्षेत्र भी भारी ऋणों का बोझ बहुत सस्ते में निपटा कर हल्का हो गया। लेकिन देश इससे भी विकट समस्या में फंस गया। देश का आम उपभोक्ता इस कदर ऋण के दलदल में धंसता गया कि उसकी बचत का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में जाने लगा। वित्त वर्ष 2011-12 में हाउसहोल्ड या आम घरों पर चढ़ा ऋण जीडीपी का 15.9% था। यह जून 2024 तक जीडीपी के 42.9% पर पहुंच गया। इन 12 सालों में ऋण की रकम ₹7.3 लाख करोड़ की छह गुना ₹43 लाख करोड़ हो गई। घरेलू बचत दर 30 साल की तलहटी जीडीपी के 5.1% तक गिर गई। अब शुक्रवार का अभ्यास…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...