आज ईद-उल-फितर के मौके पर शेयर बाज़ार बंद है। ईद का यह त्योहार खुशी, एकता और सद्भाव का प्रतीक है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था व शेयर बाजार के लिए सकारात्मक संदेश लेकर आता है। लेकिन बेहद दुखद है कि सत्ता में बैठी भाजपा के कारिंदों ने देश भर में जगह-जगह इस त्योहार के सद्भाव को तोड़ने की कोशिश की। उत्तर प्रदेश के संभल से लेकर मेरठ तक उपद्रवियों के साथ ही प्रशासन ने भी साम्प्रदायिक माहौल में तनावऔरऔर भी

शेयर बाज़ार अनिश्चितता से भरा है। लेकिन हमारे यहां निवेशक बराबर निश्चितता की तलाश में लगे रहते हैं। कौन-से शेयर खरीदूं जो जमकर रिटर्न देंगे? बाज़ार कहां तक गिरेगा या उठेगा? कौन-से एनालिस्ट, बिजनेस चैनल या अखबार सटीक सलाह देते हैं? फिर इन सवालों के पक्के जवाब पाने के लिए निवेशक तरह-तरह के एप्प, वेबसाइट, अखबारों, चैनलों व उनके सलाहकारों के चंगुल में खुद फंस जाते हैं और दूसरों को भी वॉट्स-अप ग्रुप जैसे माध्यनों से फंसातेऔरऔर भी

आर्थिक विकास व समृद्धि के मामले में 18वीं सदी इंग्लैंड की रही तो 19वीं सदी अमेरिका और जर्मनी की। इनकी कामयाबी के पीछे अभिनव टेक्नोलॉज़ी के साथ ही निर्यात की अहम भूमिका थी। 20वीं सदी में एशिया के पांच देशों जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, सिंगापुर व चीन ने निर्यात की बदौलत ही अपनी अर्थव्यस्था व नागरिक समृद्धि को चमकाया है। 21वीं सदी भारत की हो सकती है, बशर्ते वो विशाल घरेलू बाज़ार के दोहन के साथ हीऔरऔर भी

आखिर भारत की लक्षित ऊंची विकास दर का विकास-पथ क्या है या होना चाहिए? बराबर लम्तड़ानी करनेवाली मोदी सरकार से इसके ठोस व कारगर जवाब की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए क्योंकि उसके पास न तो भारत को विकसित बनाने की नीयत है और न ही नीतियां। वो केवल राजनीतिक सत्ता से चिपकी रहने के लिए इस नारे को जुमला बनाकर उछालती जा रही है। विकसित भारत बनाने का रास्ता वो भी नहीं है जिसकी सिफारिश विश्वऔरऔर भी

देश के आर्थिक विकास को असली खतरा उस राजनीति से है जो नारा लगाकर विकास का धंधा और झूठ बोलकर जन आकांक्षाओं की निर्मम हत्या कर रही है। चार दिन पहले भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट (X) किया कि भारत ने 2015 से 2025 के बीच जीडीपी को 2.1 ट्रिलियन डॉलर से 4.3 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचा कर शानदार उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने आईएमएफ के नए डेटा को इसका आधार बताया। हकीकतऔरऔर भी