कुछ महीने पहले जब अपने शेयर बाज़ार पर तेज़ी का सुरूर छाया था, तब अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर में बैंक निफ्टी व निफ्टी से लेकर स्टॉक्स तक के फ्यूचर्स व कैश सेगमेंट के भाव में काफी अंतर था। उस दौरान फ्यूचर्स का प्रीमियम या बेसिस काफी ज्यादा हुआ करता था। लेकिन आज यह बेसिस बहुत मामूली रह गया। अमूमन होता यह है कि डेरिवेटिव चक्र या महीने की शुरुआत में फ्यूचर्स का प्रीमियम बहुत ज्यादा होना चाहिएऔरऔर भी