त्योहारी सीज़न के साथ हमारे वित्त वर्ष की दूसरी छमाही का आगाज़ होता है। इस दौरान आर्थिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं तो इसका सीधा असर शेयर बाज़ार पर पड़ता है। लेकिन इस सीज़न को परे रखकर देखें तो भी शेयर बाज़ार कुदरत की ऋतुओं की तरह चक्रों में चलता है। आप कहेंगे कि बाज़ार तो छोटे-बड़े हरेक ट्रेडर की खरीद-बिक्री का योगफल होता है। फिर इसमें कहां से मौसम जैसा चक्र आ गया? दरअसल बाजार का हालऔरऔर भी