दिलों में सिहरन-सी है, दिमाग में भय-सा है कि शेयर बाज़ार कभी भी क्रैश हो सकता है। चीन का आर्थिक संकट और अमेरिका में लटके पड़े प्रमुख सरकारी बिल इन आशंकाओं के ठोस आधार हैं। ऊपर से बढ़ती मुद्रास्फीति और उसके असर को सम करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने पर विचार। बावजूद इसके बाज़ार थोड़ा-बहुत दम मारकर फिर चढ़ जाता है। चीन से उपजी चिंता ज्यादा ठोस है क्योंकि रीयल एस्टेट फर्म एवरग्रांड के अलावा वहांऔरऔर भी