अक्सर हम जैसे आम ट्रेडरों का छोटा-मोटा ग्रुप होता है। यह ग्रुप आपसी राय से सौदे करता है। सभी लगभग समान इंडीकेटरों का इस्तेमाल करते हैं। यह समूह में चलने की सहज पशु-वृत्ति है। इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन समूह के फेर में पड़कर हम मतिभ्रम का शिकार भी हो सकते हैं। फिर, आज इंटरनेट जैसी टेक्नोलॉजी ने सब कुछ इतना व्यवस्थित कर दिया है कि हम अकेले बहुत कुछ कर सकते हैं। अब बुधवार का वार…औरऔर भी

जो लोग भी आपको टिप्स बांटते हैं, चाहे वे ब्रोकर फर्में हों या तथाकथित स्वतंत्र एनालिस्ट, उनसे कभी पूछिए कि इनका आधार क्या है? अगर आधार घोषित/अघोषित खबर है तो यकीन मानिए कि गन्ने का सारा रस निचुड़ जाने के बाद अब खोइया ही बची है। अगर टेक्निकल एनालिसिस है तो वह गुजरे हुए पल के डाटा पर आधारित है। फिर, इसमें तो हज़ारों लोग माहिर हैं तो आप औरों से जीतोगे कैसे! सोचिए। बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

इधर कुछ दिन दिल्ली में हूं और भांति-भांति के लोगों से मिलना-जुलना चल रहा है। कल शाम फाइनेंस जगत के खास किरदार से मुलाकात हुई। उनका कहना था कि इस बाज़ार में हमारे-आप जैसे रिटेल/आम निवेशकों का कोई भविष्य नहीं। मैंने इधर-उधर की बातें कर उनके अहं का पूरा ख्याल रखा। लेकिन मन ही मन कहा कि अगर हमारा भविष्य नहीं है तो इस देश की अर्थव्यवस्था का भी कोई भविष्य नहीं है। अब बाज़ार की दशा-दिशा…औरऔर भी

फाइनेंस की दुनिया घाघों से भरी है। शेयर बाज़ार में तो ऐसे लोगों की भरमार है जो मालिकों से जोड़तोड़ करके ऐसी कंपनियों के शेयर निवेशकों के गले मढ़ देते हैं जिनका कोई भविष्य नहीं। इसलिए निवेश की दुनिया में बड़ी सावधानी से कदम बढ़ाएं। एक मोटी-सी सावधानी यह है कि अगर कंपनी के प्रवर्तकों ने अपने शेयर गिरवी रखे हों तो उसमें भूलकर भी निवेश न करें। तथास्तु में आज एक बेहद साफ-सुथरी और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

बाज़ार ऐतिहासिक ऊंचाई बना चुका है। सेंसेक्स और निफ्टी चढ़ते ही जा रहे हैं। क्या भारतीय अर्थव्यस्था वाकई इतनी मजबूत होती जा रही है कि शेयर सूचकांकों का बढ़ना स्वाभाविक है? कोई भी बता सकता है कि ऐसा कतई नहीं है। बाज़ार बाहर से आ रहे सस्ते धन के दम पर फूल रहा है और जैसे ही अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व हर महीने सिस्टम में 85 अरब डॉलर डालने का सिलसिला रोक देगा, भारत समेतऔरऔर भी