रिलायंस का संकट कटने की आहट, बीपी से करार को मिली हरी झंड़ी

लगातार नकारात्मक माहौल से जूझ रही देश की सबसे बडी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के लिए आखिरकार शुक्रवार को एक अच्छी खबर आ गई। कैबिनेट ने ब्रिटेन की कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) के साथ उसकी साझेदारी को मंजूरी दे दी। इस फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाते हुए आरआईएल का शेयर 1.49 फीसदी बढ़कर 870.60 रुपए पर बंद हुआ।

बीपी और रिलायंस के बीच यह करार 720 करोड़ डॉलर का है। इसके तहत बीपी रिलांयस के साथ बने संयुक्त उद्यम में 30 फीसदी इक्विटी भागीदारी करेगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक फिलहाल, 21 ब्‍लाकों में बीपी एक्‍सप्‍लोरेशन (अल्‍फा) लिमिटेड को रिलायंस इंडिया लिमिटेड में 30 फीसदी भागीदारी देने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गई है। लेकिन एएस-ओएनएन-2000/1 और एनईसी-डीडब्‍ल्‍यूएन-2002/1 ब्‍लॉकों को छोड़ दिया गया है।

इस तरह 23 ब्लॉकों में से अभी 21 में ही सहयोग समझौते को स्वीकृति दी गई है। ध्यान दें कि सरकार की तरफ से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जगह रिलायंस इंडिया लिमिटेड लिखा गया है। साफ नहीं है कि यह गलती से लिखा गया है कि करार के लिए रिलायंस इंडिया लिमिटेड नाम की अलग कंपनी ही बना दी गई है। बाकी बचे दो ब्लॉकों पर पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय वाजिब प्रशासनिक फैसला कर सकता है। वह इन ब्‍लाकों में 30 फीसदी भागीदारी के हस्‍तांतरण को भविष्‍य में अनुमति दे सकता है। अनुमान है कि 21 ब्‍लॉकों के संबंध में बीपी एक्‍सप्‍लोरेशन (अल्‍फा) लिमिटेड को रिलायंस में 30 फीसदी भागीदारी देने से इन ब्‍लॉकों में काफी तकनीकी विशेषज्ञता आएगी।

सीसीईए के फैसले की जानकारी देते हुए पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने कहा कि सौदे को समिति की मंजूरी की दरकार नहीं है। उन्होंने कहा – चूंकि यह सौदा बहुत बड़ा है, इसलिए हमें लगा कि समिति के जरिये ही इसे हरी झंडी दिलाना बेहतर होगा। जब रेड्डी से पूछा गया कि दो ब्लॉकों को मंजूरी क्यों नहीं दी गई तो उन्होंने कहा कि गैर-उत्पादक ब्लॉकों के उत्खनन का पहला चरण निपटा है और आरआईएल ऐसी संपत्ति में हिस्सा नहीं बेच सकती, जिस पर उसका अधिकार ही नहीं है। आरआईएल और केयर्न इंडिया को उत्खनन के लिए अतिरिक्त समय दिए जाने पर हाल ही में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पेट्रोलियम मंत्रालय की खिंचाई की थी।

हालांकि इस सौदे से अर्थव्यवस्था को खास फायदा नहीं होगा क्योंकि रिलायंस को उत्पादन साझेदारी समझौतों (पीएससी) के तहत सरकार के साथ निवेश के अपने वादे पूरे करने हैं। बहरहाल अगर दोनों कंपनियों को ब्लॉकों में अतिरिक्त गैस मिलती है तो इस सौदे के तहत रिलायंस को 180 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त रकम भी मिल सकती है। बीपी को उत्पादन साझेदारी समझौते के तहत बैंक गारंटी और प्रदर्शन गारंटी पेश करनी है। गहरे समुद्र में खुदाई करने में बीपी माहिर है और माना जा रहा है कि इससे आरआईएल के मुख्य ब्लॉक डी-6 में गैस का उत्पादन बढ़ जाएगा। आरआईएल ने इस सौदे के लिए सरकार के सामने 25 फरवरी को दरख्वास्त की थी।

2 Comments

  1. sirji, aap ka coloum bahut acha hota he, me aap ka coloum padtha hu or uspe amal karta hu, or me apne dost ko bhi bejta hu, kyu ki unko bhi faida ho sake. aap galat nahi bejte ho or ap ka coloum me pehle galat samajta tha mgr baad me muje essa hua or aap ka fen ho gaya hu, muje maaf kar dijiye ga or agar me ye saab co. ka block word face book me deta hu to uska credit aap ko jata hehe kyu kime usme apna nahi aap ka facebook me sign deta hu or kehta hu ki ye cloum acha he isko padke isko samjo or apna paisa safe karo. agar mere jese dusro ko me ye coloum deta hu to ye aap ka or hamara paisa bach ta he or bahut se shr ke bare me nahi jante he uska money loss nahi hota . issi liye me aap se permission chata hu ki me aap ka coloum facebook me send karke unn logo ka money ko safe karu, agar aap permission dege to me apne saab frd ko bej saku. agar aap kahe ge me nahi bejuga, pls muje bataye. apka dost, jk.wadia.bye

  2. वाडिया जी,
    एक बार मैं जो लिख देता हूं, वह फिर मेरा नहीं, आप लोगों का ही हो जाता है। मेरा लिखा जितने ज्यादा लोग पढ़ेंगे, मुझे तो उतना ही अच्छा लगेगा। आप बेधड़क फेसबुक पर डाल सकते हैं। आप जैसे ही लोगों की कोशिशों से तो अर्थकाम अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचता जा रहा है।
    सहयोग बनाए रखने के लिए तहेदिल से शुक्रिया।

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