अजब है तमाशा तेजी लाती मंदी का

मंदी का बाजार हमेशा मरे हुए स्टॉक्स में भी जान देता है और तेजी के बाजार से भी ज्यादा तेजी का सबब बन जाता है क्योंकि ऑपरेटर व फंड नहीं जानते कि बाजार का रुख कब पलट जाए तो हमेशा हड़बड़ी में रहते हैं। दूसरी तरफ तेजी का बाजार आपको हमेशा एक धीमा पैटर्न देता है जो अंडमान-निकोबार की यात्रा जैसा बोरिंग होता है क्योंकि यहां निवेशक नोट बनाने की हड़बड़ी में होते हैं, जबकि ऑपरेटरों व फंडों के पास हमें चरका पढ़ाने के लिए भरपूर वक्त होता है।

यहां भी अंतर 6 और 9 का है। पहले मामले में निवेशक को लगता है कि यह फटाफट नोट बनाने का सही मौका है और वो सौदे करके हवामहल बनाने लगता है। दूसरे मामले में निवेशक को लगता है कि बाजार तो गिरेगा ही और इसलिए शॉर्ट सौदे करना ही सबसे सही होगा। लेकिन जब तक यह मौका असल में सामने आता है तो खरीद के लिए आपकी जेब में पर्याप्त नोट नहीं होते और आप नकदी के संकट से जूझ रहे होते हैं। तब आप निवेश के मौकों को परखने के बजाय आपके पास जो भी शेयर हैं, उन्हें बेचकर धन जुटाने लग जाते हैं और मजूबरी में की गई इस बिक्री में घाटा उठाते हैं। अचंभे की बात तो यह है कि आप घाटा उठाकर भी चैन की सांस लेते हैं कि चलो किसी तरह बला टली, बाल-बाल बच गए।

यह सब मैं इसलिए व्याख्यायित कर रहा हूं क्योंकि यह हमारी समझ से परे है कि हो क्या रहा है और ऑपरेटर व एफआईआई क्यों आपको निकलने का मौका दे रहे हैं? आप जो भी बेच रहे हैं, वह बढ़ रहा है और जो भी आप बेहताशा बढ़े हुए भावों पर खरीद रहे हैं, उसे एक या दो साल बाद माहौल ठंडा होने पर आपको बेचने के लाले पड़ जाएंगे।

खैर, आप मैं बड़ा प्रसन्न हूं क्योंकि मैं जानता था कि निफ्टी में 5660 का स्तर आना ही है। यह उसी दिशा में बढ़ता हुआ आज 5642 तक जाकर 5634 पर बंद हुआ है। अगर सोमवार को बाजार 5660 के ऊपर खुलता है तो आपको पता ही है कि मेरी क्या सोच है। मैंने अब भी निफ्टी में 5730 का अपना लक्ष्य जस का तस रखा हुआ है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज कनाडा की गुमनाम-सी रिसर्च फर्म वेरिटास की नकारात्मक रिपोर्ट के बाद भी 1.5 फीसदी बढ़कर बंद हुआ है क्योंकि कंपनी प्रबंधन का मानना है कि यह दुर्भावना से भरी रिपोर्ट है। इस स्टॉक को गति देने की दो और वजहें रहीं। एक, बीपी के साथ हुए सौदे को मंजूरी और दो, यूरेनियम के लिए किसी ऑस्ट्रेलियाई खनन कंपनी से करार। लेकिन निस्संदेह रूप से आज का स्टार तो गुजरात स्टेट पेट्रोनेट (जीएसपीएल) ही रहा, जिसके बारे में मैंने कल ही इस कॉलम में लिखा था। यह अब भी सस्ता है और बहुत जल्द ही 140 रुपए के पार चला जाएगा। पेट्रोनेट एलएनजी को सीएनआई ने 146 रुपए पर खरीदने की सलाह दी थी। आज वह 179.65 रुपए के नए शिकर तक पहुंच गया जो दिखाता है कि फंडामेंटल आधारित सलाह में कितना दम होता है।

जैसा कि कल सामने आ चुका है कि बहुत-सी शॉर्ट पोजिशन अब भी खुली हुई हैं और खिलाड़ी लोग निफ्टी के 5660 के पार हो जाने का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, हमारे ऑपरेटर भी अब सेर पर सवासेर हो गए हैं। वे जानते हैं कि कंप्यूटर प्रोग्राम पर आधारित अलगोरिदम से खरीद 5660 के ऊपर के स्तर पर रखी गई है। इसलिए उन्होंने निफ्टी को 5660 के ऊपर जाने ही नहीं दिया। खैर, आज नहीं तो किसी और दिन सही।

केवल बीएसई में लिस्टेड फिलाटेक्स इंडिया में आज वोल्यूम दो लाख से भी ज्यादा शेयरों का रहा। उसे भारत के सर्वोच्च कॉरपोरेट घराने की तरफ से बड़े पैमाने पर बटोरा जा रहा है। कंपनी वृहद विस्तार योजना को अंजाम देने में लगी है जिसके बाद दो साल के अंदर उसकी बिक्री 3000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। हमेशा की तरह निवेशकों की आंख तब खुलेगी, जब यह 100 रुपए के ऊपर पहुंच जाएगा। कौन जानता था कि वीआईपी 700 रुपए पर पहुंच जाएगा, खासकर तब, जब हमने 34 रुपए पर इसे खरीदने को कहा था।

छोटी-छोटी चीजों का ख्याल रखना इससे बेहतर है कि हम अहम चीजों तक की परवाह करना छोड़ दें।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *