महंगाई ने आम आदमी की जेब में सुराख कर दी है। तमाम चीजों के साथ भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक ‘रेशम की डोरी’ के दाम भी बढ़ गए हैं। लेकिन राखी के कारोबार पर इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। रक्षाबंधन अभी करीब तीन हफ्ते दूर है। 13 अगस्त को इस बार पड़ रहा है रक्षाबंधन। लेकिन भाइयों और बहनों के बीच की भौगोलिक दूरियों के चलते देश भर के बाजार अभी से तरह-तरह की राखियों से सज चुके हैं।
व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में राखियों के दामों में अच्छा-खासा इजाफा होने के बावजूद कारोबार पर असर नहीं पड़ा है। घरेलू बाजार में तो राखियां धड़ाधड़ बिक ही रही हैं, बड़ी मात्रा में राखियों का निर्यात विदेश को भी किया गया है।
वैसे, इस साल राखियों के बाजार से परंपरागत ‘रेशम की डोरी’ नदारद है और उसका स्थान डिजाइनर और फैशनेबल राखियों ने लिया है। हर भारतीय त्यौहार की तरह रक्षाबंधन पर भी चीनी ड्रैगन काबिज है और परंपरागत भारतीय राखियों के खरीदार दिखाई नहीं दे रहे।
राजधानी दिल्ली के सदर बाजार के राखियों के कारोबारी राज भाई कहते हैं, ‘‘सबसे ज्यादा चाइनीज स्टोन वाली राखियों की डिमांड है। 11 स्टोन, 21 स्टोन या 51 स्टोन की राखियां खूब बिक रही हैं। देखने में ये राखियां आकर्षक लगती हैं। थोक बाजार में इनका दाम 6 रुपए से 50 रुपए तक हैं।’’ उन्होंने बताया कि स्टोन या चमकीले पत्थर का आयात चीन से किया गया है।
राज भाई ने कहा, ‘‘आज स्थिति यह है कि राखियों में इस्तेमाल सभी तरह का कच्चा माल चीन से आयात किया जाता है। कभी स्पंज वाली बड़ी-बड़ी भारतीय राखियां काफी लोकप्रिय थीं। पर आज ये बाजार से पूरी तरह गायब हो चुकी हैं।’’ स्टोन के बाद सबसे ज्यादा मांग कार्टून कैरेक्टर वाली राखियों की है। एक अन्य कारोबारी अनिल भाई राखीवाले कहते हैं कि बच्चों में कार्टून कैरेक्टर की राखियों का सबसे ज्यादा क्रेज है। ‘‘आप किसी भी कार्टून कैरेक्टर का नाम लें, आपको वह राखी बाजार में मिल जाएगी।’’ (एजेंसी का सहयोग)