ब्रिटेन में मौजूदगी रखने वाली भारतीय कंपनियां और भारत में मौजूद ब्रिटिश कंपनियां एक सख्त ब्रिटिश कानून के दायरे में आ गई हैं। यह कानून घूसखोरी को रोकने के लिए बनाया गया है।
ब्रिटेन का घूसखोरी अधिनियम-2010 शुक्रवार, 1 जुलाई से प्रभाव में आ गया। इस कानून के तहत घूसखोरी अथवा भ्रष्टाचार में लिप्त पाए लोगों को 10 साल तक की जेल हो सकती है और उनके खिलाफ असीमित जुर्माना लगाया जा सकता है। दोषी पाई गई कंपनियों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।
इस कानून के तहत घूसखोरी रोकने में नाकामी को एक अपराध करार दिया गया है। हाल के सालों में कई भारतीय कंपनियों ने लंदन और ब्रिटेन के दूसरे हिस्से में अपने अपने दफ्तर खोले हैं। इसी तरह ब्रिटिश कंपनियां भी भारतीय बाजार में तेजी से पैर पसार रही हैं।
इस नए कानून से जुड़े आधिकारिक दिशा-निर्देश में कहा गया है, ‘‘घूसखोरी लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था को कमजोर करती है। इससे विकासशील और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए स्थायी विकास दर को बरकरार रखना मुश्किल हो जाएगा।’’ अधिकारियों का मानना है कि इस नए कानून से कारोबारी क्षेत्र में घूसखोरी को रोकने में मदद मिलेगी और अंतराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटेन की साख भी बढ़ेगी।
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