अल-निनो मध्य प्रशांत महासागर में तापमान के बढ़ने की एक चक्रीय परिघटना है। भारत पर इसके आने का असर यह होता है कि दस सालों में से छह साल में देश के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिम व मध्य-भारत के पश्चिमी हिस्से में कम बारिश होती है। साल 1951 से 1922 तक के 71 सालों में 15 साल अल-निनो के रहे हैं। इस दौरान मध्य व भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में तापमान आधा डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ गया। इससे नौ साल सामान्य से कम बारिश हुई। 2015 अल-निनो का सबसे खराब साल रहा। तब समुद्री तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ गया था और मानसून की बारिश सामान्य से 14% कम रही थी। 2018 में बारिश में 7.4% की कमी आई। 2019 के बाद भारत ला-निना के प्रभाव में रहा, जिस दौरान तापमान थोड़ा कम हो गया था। लेकिन इस साल की गरमी खतरनाक संकेत दे रही है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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