शेयर बाज़ार अचानक जब धराशाई होने लगता है तब निवेश का वाजिब पोर्टफोलियो बनाने की अहमियत समझ में आती है। वैसे तो निफ्टी-50 और सेंसेक्स-30 भी क्रमशः 50 और 30 स्टॉक्स से मिलकर बना एक तरह का पोर्टफोलियो ही है। लेकिन इनका उठना-गिरना बाज़ार के उठने-गिरने का पर्याय है। इनके ज्यादा गिरने पर निवेश का पोर्टफोलियो ज्यादा न गिरे, ऐसी कंपनियों की टोकरी बनाना ही असली पोर्टफोलियो बनाना होता है। अमूमन 20-30 स्टॉक्स या कंपनियों की सूची बाज़ार के रिस्क को कम से कम कर सकती है। इसमें भी बड़ी, मध्यम व छोटी कंपनियों का संतुलन बैठाना पड़ता है। याद रखें, भयंकर तूफान में बड़े-बड़े पेड़ उखड़ जाते हैं, जबकि घास का कुछ खास नहीं बिगड़ता। आज तथास्तु में ऐसी ही एक छोटी कंपनी…
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