वोडाफोन तीन साल पहले 2007 में हचिसन के भारतीय कारोबार को खरीदने पर कोई टैक्स देने के मूड में नहीं है। इसी महीने 8 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुना चुका है कि यह भारतीय संपत्ति के हस्तांतरण का मसला है। इसलिए इस पर वोडाफोन को कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ेगा। लेकिन वोडाफोन टैक्स न देने के अपने दावे पर कायम है। उसने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिस पर अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को रखी गई है।
वोडाफोन की तरफ से सोमवार को जारी बयान में कहा गया कि उसने हचिसन को 11.1 अरब डॉलर (करीब 50,000 करोड़ रुपए) में खरीदने के सौदे में कोई कैपिटल गेन्स नहीं हासिल किया है तो वह काहे का बात का टैक्स दे। लेकिन आयकर विभाग भी वोडाफोन से 12,000 करोड़ रुपए का टैक्स लेने पर आमादा है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन एस एस एन मूर्ति ने दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि वोडाफोन पर हचिसन की खरीद के बारे में ब्याज समेत कुल 12,000 करोड़ रुपए (2.66 अरब डॉलर) की देनदारी बनती है और चार हफ्ते के भीतर आयकर विभाग कंपनी के सामने बाकायदा इसकी मांग रख देगा।