देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आम निवेशकों से कम से कम 500 करोड़ रुपए उधार लेने की पूरी तैयारी कर ली है। उसने पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के पास बांडों का पब्लिक इश्यू लाने का ड्रॉफ्ट प्रॉस्पेक्टस जमा करा दिया है। इस इश्यू के जरिए वह अपना पूंजी पर्याप्तता अनुपात बढ़ाने के लिए टियर-2 श्रेणी के बांडों से 500 करोड़ रुपए जुटाना चाहता है। साथ ही उसने अतिरिक्त सब्सक्रिप्शन का 100 फीसदी अपने पास रखने का विकल्प रखा है। यानी, लोगों से ज्यादा निवेश मिलने पर बांडों के इस पब्लिक इश्यू का आकार 1000 करोड़ रुपए तक का हो सकता है।
बैंक को अच्छा निवेश मिल गया तो वह जरूर ऐसा करेगा क्योंकि सावधि जमा (एफडी) की तरह बांडों को लेकर उसकी कोई जवाबदेही नहीं होती। एफडी में तो एक लाख रुपए तक का बीमा होता है। लेकिन किसी वजह से इन बांडों की रकम डूब गई तो निवेशक को बहुत मुश्किल से कुछ हाथ नहीं आएगा। एसबीआई की सारी देयताओं में सबॉर्डिनेट बांड होने के कारण ये सबसे नीचे आते हैं। ये बांड किसी तरह की जमा नहीं हैं। इसलिए इनके एवज में बैंक से कोई कर्ज भी नहीं मिल सकता। हां, बांडों से मिली रकम से बैंक की ताकत में इजाफा होता है, जबकि एफडी तो उसे बोझ की तरह उतारनी होती है।
इस इश्यू में जारी हर बांड 10,000 रुपए का होगा। दो तरह के बांड हैं। एक की परिपक्वता अवधि दस साल और दूसरे की 15 साल है। पहले बांड में पांच साल बाद और दूसरे बांड में दस साल बाद बैंक इन्हें चाहे तो वापस खरीद सकता है। बांडों पर ब्याज की दर का ऐलान अभी नहीं किया गया है। एसबीआई ने 1 अक्टूबर तक 592 पृष्ठों के ड्रॉफ्ट प्रॉस्पेक्टस पर सभी संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया मांगी है। उनके आधार ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा और तब इश्यू के खुलने व बंद होने की तिथि से लेकर कूपन या ब्याज दर की घोषणा की जाएगी।
एसबीआई के ये बांड नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध होंगे और इन पर ब्याज की अदायगी सालाना आधार पर की जाएगी। लिस्टिंग के कारण निवेशक कभी भी इन्हें बेचकर बाहर निकल सकता है। लेकिन उसे बांड के भाव और ब्याज दर के आधार पर यील्ड की गणना कर अपना नफा-नुकसान समझना होगा। इन बांडों को क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर ने एएए और क्रिसिल ने एएए/स्टैबल की रेटिंग दी है। यानी, इनमें निवेश को अभी के लिए पूरी तरह सुरक्षित माना है। लेकिन दस-पंद्रह साल के बांड पर जोखिम कभी भी बदल सकता है। माना जा रहा है कि इन बांडों पर ब्याज की दर 9.50 से 10.50 फीसदी रखी जा सकती है। एसबीआई अपनी 8-10 साल की एफडी पर 7.75 फीसदी ब्याज देता है।
बता दें कि साल भर पहले 2009 में टाटा कैपिटल और एल एंड टी फाइनेंस जैसी कंपनियां इस तरह के बांड जारी कर चुकी हैं। टाटा कैपिटल ने पांच साल के बांडों से 2500 करोड़ रुपए जुटाए थे, जबकि एल एंड टी फाइनेंस ने पांच, सात व दस साल के बांडों से 1000 करोड़ रुपए।
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