निफ्टी 0.59 फीसदी और गिरकर 4905.80 पर पहुंच गया। बाजार में हल्ला यही है कि अब सब कुछ बरबाद होने जा रहा है। अरे! सब कुछ तो पहले ही बरबाद हो चुका है। अब बाजार से और कितनी बरबादी की उम्मीद की जा सकती है। आज की तारीख में सरकार की तरफ से रिटेल व छोटो निवेशकों को खींचने या उन्हें मदद करने की कोई नीति नहीं है। सारी की सारी नीतियां एफआईआई समर्थक हैं।
असल में, मैंने इकनॉमिक टाइम्स में सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा का इंटरव्यू पढ़ा जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि हमारी नीतियां व्यापक स्तर पर एफआईआई की हिमायती हैं और हमें फौरन ऐसी घरेलू ताकत बनाने की जरूरत है जो जब भी कभी एफआईआई बिकवाली करें तो वे उसे बेअसर कर सकें।
अगर कैश से भरपूर अमीर निवेशकों को बाजार में वापस लाना है तो उसके लिए पहला रास्ता है कि स्टॉक डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट लागू कर दिया जाए। बीएसई ने यह व्यवस्था लागू कर रखी है। लेकिन एनएसई ऐसा करने को तैयार नहीं है। दूसरा उपाय यह है कि आईपीओ में होनेवाली जोड़तोड़ को हर हाल में खत्म किया जाए जिसके लिए सिन्हा जी कदम उठाने को तैयार हो गए हैं। लिस्टिंग के दिन सर्किट फिल्टर लगाने का भी प्रस्ताव है।
तीसरी बात उन्होंने मानी है कि कन्सेंट ऑर्डर की व्यवस्था में खामियां हैं और इसे ठीक किया जा रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि कन्सेंट ऑर्डरों का चक्कर ही एकदम खत्म कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे सेबी को भले ही आमदनी हो जाए, लेकिन बड़े एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) व एफआईआई बिना गुनाह कुबूल किए बस पेनाल्टी देकर छूट जाते हैं। यह सतत चलनेवाला चक्कर बन गया है। अगर दोषियों को, भले ही वो एफआईआई क्यों न हों, माकूल सजा देने का नियम बनता है तो हर कोई इसका स्वागत करेगा। कन्सेंट ऑर्डर चले भी तो पेनाल्टी के साथ-साथ कम से कम दोषी पर चार हफ्ते का अनिवार्य बैन लगाया जाना चाहिए ताकि वे कन्सेंट ऑर्डर का दुरुपयोग न कर सके। तभी पेनाल्टी लगाने का कोई मतलब होगा।
जब तक फिजिकल सेटलमेंट नहीं है, तब तक आपको झुककर नुकसान उठाना ही पड़ेगा क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं है। एफआईआई व एचएनआई मौजूदा सिस्टम का जब चाहते हैं, जमकर इस्तेमाल करते हैं और एक ही सेटलमेंट के उतार-चढ़ाव में 20 फीसदी से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। यह कमाई आम निवेशकों द्वारा पूरे साल भर में कमाए जानेवाले रिटर्न से ज्यादा है। यह दंड है जो हमें पूंजी बाजार का हिस्सा होने के नाते चुकाना पड़ता है। दिक्कत यह है कि हमारे-आपके पास इसका कोई विकल्प नहीं है क्योंकि एक्सचेंज की नीतियों के चलते कैश सेगमेंट तो पहले ही लगभग मर चुका है। ऐसे में आप फ्यूचर्स में नहीं भी खेलना चाहते तब भी आपको फ्यूचर्स व ऑप्शंस में खेलने के प्रति झुकना पड़ता है।
बेहत तकलीफ के साथ मेरी सलाह यही है कि जिन्होंने बाजार में पोजिशन ले रखी है वे उसे होल्ड करके रखें क्योंकि एक बार फिर ऑपरेटरों ने सिस्टम की कमजोर नस पकड़ ली है। वे अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों का इस्तेमाल ट्रिगर के रूप में कर रहे हैं और रोलओवर में कमाई के लिए बाजार में अफरातफरी फैला रहे हैं। इसने अब बड़ा सवाल उठा दिया है कि हमें एक सेटलमेंट से दूसरे सेटलमेंट में जाने के लिए आखिर रोल्स की जरूरत ही क्यों है? इसे पुराने बदला सिस्टम की तरह ऑटोमेटिक क्यों नहीं कर दिया जाता? लेकिन फिजिकल सेटलमेंट के अभाव में ऐसा हो नहीं सकता।
सबसे अहम बात यह है कि जो लोग नियम-कायदे बनाते और उन्हें लागू करते हैं, वे रिटेल निवेशकों का दर्द नहीं समझ सकते क्योंकि बाजार की ट्रेडिंग से उनका कोई वास्ता ही नहीं है। जब तक आप फ्यूचर्स में खुद ट्रेड नहीं करते और घाटा नहीं उठाते, तब तक आप निवेशकों पर पड़नेवाली मार का अंदाजा नहीं लगा सकते।
खैर, फिलहाल बाजार की नई तलहटी का इंतजार कीजिए जो अब एकदम करीब है। उसके बाद जल्दी ही हम बाजार में सेंसेक्स को फिर से उठकर 17,000 पर पहुंचा हुआ देख सकते हैं। उसके बाद हम स्थिति की नए सिरे से समीक्षा करेंगे।
हमारी संस्कृति ही ऐसी है कि हम दोष निकालने और आरोप लगानेवाले को बड़े सम्मान व आदर से देखते हैं। मान लेते हैं कि ऐसा करनेवाला शख्स बेहद संजीदा, ईमानदार और बुद्धिमान ही होगा।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)
NamasteSir,
Aapke coloumn me aapka dard nazar aa raha hai. humne SBI me aapke tips se BTST kiya tha aur 1918 me kharidkar 1979 me nikal liye. aapne thik kaha ke hamare market ko FII apne ungli pe nachate hai aur isi wajah se mai bohot soch samajh ke nivesh karta hu, bazar ke modh ko samajh ke swing trade karta hu(F&O kabhi nahi). Bohot kuch aapke coloumn padhke bhi sikha hai aur is wajah se aapka aabhari hu.
Aaka Subhchintak,
Abhijeet Mitra.