गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के साहित्य प्रेमियों के लिए इससे अच्छी खबर भला और क्या होगी कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इस रचनाकार की संपूर्ण कृतियों को अब एक साथ लाया गया है।
इस साल टैगोर की 150वीं जयंती मनाई जा रही है और पेंग्विन इंडिया ने इस अवसर पर गुरूदेव की 21 किताबों को विशेष रूप से छांटकर संग्रह के रूप में पेश किया है। इस संग्रह का नाम प्रकाशन संस्थान ने ‘पेंग्विन टैगोर बुकशेल्फ’ रखा है।
सुविख्यात रचनाकार टैगोर के इस संपूर्ण कृति संग्रह में भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान सहित करीब 60 छंद, कम से कम सौ लघु कहानियों, कुछ उपन्यासों, नाटकों, नृत्य नाटिकाओं, धर्म समाज और साहित्य पर निबंधों के साथ-साथ 2500 से ज्यादा गीतों को भी शामिल किया गया है।
टैगोर को साहित्य के लिए वर्ष 1913 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। बांग्ला उपन्यास को गुरूदेव ने ‘फेयरवेल सॉन्ग’ के जरिए नया रूप दिया था। इस रचना का अनुवाद राधा चक्रवर्ती ने किया है। गूढ़ साहित्य में दिलचस्पी रखने वालों की यह पसंदीदा रचना है।
‘गोरा’ भी गुरूदेव की बहुचर्चित रचना है जिसका अनुवाद भी राधा चक्रवर्ती ने ही किया है। ‘क्लासिक रवीन्द्रनाथ टैगोर’ गुरूदेव के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासों के अनुवाद का पूर्ण संग्रह है।
गुरूदेव की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त रचना ‘गीतांजलि’ का अनुवाद प्रख्यात विद्वान विलियम रेडिस ने किया है। उन्होंने ‘गीतांजलि’ के अलावा कुछ छंदों का भी अनुवाद किया है। संग्रह में ये सभी रचनाएं हैं। टैगोर की ‘पोस्टमास्टर’ और ‘काबुलीवाला’ जैसी बहुचर्चित लघु कहानियां भी इस संग्रह में शामिल हैं।