जैसी कि उम्मीद थी, बाजार ने कल 5420 पर पहुंचने के बाद यू-टर्न लिया और आज 5490 तक चलता चला गया। हालांकि इसके बाद वो गिरना शुरू हो गया क्योंकि मंदड़िए अपना करतब दिखाने लगे। वे निफ्टी को 5432 तक गिरा ले गए। लेकिन बाजार उसके बाद उठा तो उठता ही जा रहा है। 5500 के ऊपर वो पहुंच चुका है। दिक्कत यह है कि इस वक्त ज्यादातर ट्रेडर व निवेशक के मन में यह बात घर कर गई है कि बाजार भले ही दो-तीन दिन बढ़ जाए, लेकिन उसके बाद यह पस्त हो जाएगा। इसलिए उनको यकीन हो चला है कि इस समय शॉर्ट सौदे करना ही असली खेल है और निवेश करना एकदम फालतू है।
कुछ एफआईआई व ब्रोकर हाउस, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) व इनफोसिस में शॉर्ट हो चुके थे, वे लार्सन एंड टुब्रो में भी श़ॉर्ट थे। उन्हें आरआईएल व इनफोसिस में थोड़ा फायदा तो मिल गया, लेकिन इससे कहीं ज्यादा उन्हें लार्सन में नुकसान उठाना पड़ा है। पूरी स्थिति यह है कि ट्रेडरों का खाता हर हाल में घाटा खा रहा है। लार्सन ने उम्मीद से बेहतर नतीजे घोषित किए तो मंदड़िए फंसकर रह गए।
दरअसल, सारा खेल केवल पोजिशन का है। एचएनआई प्रॉपराइटरी ट्रेडरों यानी अपनी जेब से ट्रेड करनेवाले अमीरों और एफआईआई की लांग व शॉर्ट पोजिशन के आधार पर ट्रेडिंग हो रही है। मैं काफी लंबे समय से यह कहता रहा हूं कि एफआईआई भी अपने यहां ट्रेडर हो गए हैं और ऑप्शंस में वोल्यूम के जरिए निफ्टी से छेड़छाड़ कर रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने आज इस पर पूरा लेख ही छाप दिया है।
यह रुझान रिटेल ट्रेडरों के लिए खतरनाक है। असल में मैं विदेश में बैठे कुछ एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) से बात कर रहा था और मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वे भारत को लेकर तेजी की धारणा रखते हैं। फिर भी यहां निवेश करने में हिचक रहे हैं क्योंकि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम्स (पीएमएस) के नाम पर उनके साथ धोखा हुआ है और उनके मत्थे कचरा स्टॉक्स मढ़ दिए गए हैं। उन्हें डर है कि अगर उन्होंने पीएमएस के तहत या सलाहकारों के कहने पर किसी स्टॉक में धन लगा दिया तो वह डूब जाएगा। इसी के साथ भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र की छवि भी बाहर डूब रही है जो वाकई बुरी बात है।
रिश्वतखोरी, घोटाले, आईपीओ के फ्रॉड और कुल मिलाकर किसी भी सरकारी एजेंसी में रिटेल निवेशकों के साथ रत्ती भर भी सहानुभूति का न होना इस समय कैश बाजार के लिए बेहद दुखद स्थिति पैदा कर रहा है।
मुझे निवेशकों की तरफ से बी ग्रुप के कई स्टॉक्स की लंबी लिस्ट मिली है क्योंकि इनके भाव काफी गिर गए हैं। सभी पाठकों से मेरी गुजारिश है कि वे धैर्य के साथ इन शेयरों को होल्ड किए रखें और बाजार की दशा-दिशा पर नजर रखते हुए इंतजार करें। यह एक ऐसा दौर है जो आता है और चला जाता है। अगर मंदड़िए ए ग्रुप के शेयरों को नहीं बख्श रहे हैं तो वे बी ग्रुप को कैसे छोड़ेंगे? लेकिन बाजार जब भी उठेगा तो दोबारा घुसने का मौका नहीं देगा और तब आपको अपने शेयरों के सही दाम मिल जाएंगे। बस, थोड़े वक्त की बात है। इंतजार कीजिए। समस्या केवल उन लोगों के साथ है जिन्होंने उधार लेकर निवेश किया है। मुझे नहीं लगता कि ब्रोकर ऐसे निवेशकों पर किसी तरह का रहम करेंगे।
खैर, इस समय बाजार में सुधार की बात करनेवाले लोग ज्यादा नहीं हैं। गिने-चुने लोग हैं। इन्हीं मुठ्ठी भर लोगों में शामिल एक एफआईआई हाउस ने आज कहा कि तीन महीने बाजार के लिए बुरे हैं, उसके बाद सेंसेक्स 30,000 पर पहुंच जाएगा। आप बाजार के ट्रैक-रिकॉर्ड से वाकिफ हैं। फैसला आप ही कीजिए। हां, इतना तय है कि अगर सेंसेक्स 60 फीसदी रिटर्न देगा तो स्टॉक्स 200 फीसदी का रिटर्न देंगे।
हमारे दौर का दुखद पहलू यह है कि समाज जितने वक्त में नई समझ व विवेक हासिल करता है, विज्ञान उतने ही वक्त में उससे कहीं ज्यादा तेजी से नया ज्ञान हासिल कर लेता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)